उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान बख्शी का तालाब, लखनऊ में विभिन्न सरकारी, अर्धसरकारी विभाग /संस्थाओ के अधिकारियों व कर्मचारियों व विभाग व रचनात्मक कार्यों से जुड़े लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें और अधिक दक्ष व सक्षम बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्रम्य विकास संस्थान, उ0प्र0 द्वारा सचिव एवं राहत आयुक्त उ0प्र0, शासन राजस्व विभाग के सहयोग से दिनांक 13 जनवरी, 2025 से 15 जनवरी, 2025 की अवधि में, “मानव वन्य जीव द्वन्द्व’’ विषयक 03 दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में लखीमपुर-खीरी, बहराइच, पीलीभीत, श्रावस्ती, बलरामपुर के वन्य एवं पंचायतीराज, सिंचाई, कृषि, ग्राम्य विकास, पशुपालन, राजस्व, खाद्य एवं रसद, स्वास्थ्य, समाज कल्याण एवं शिक्षा विभाग के जनपद स्तरीय अधिकारियों एवं क्षेत्रीय/जिला ग्राम्य विकास संस्थान के प्रशिक्षकों सहित कुल 33 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर संस्थान के प्र0अपर निदेशक, बी0डी0 चौधरी, प्रशिक्षण कार्यक्रम नियंत्रक, डा0 एस0के0 सिंह, सहायक निदेशक, प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभारी संजय कुमार, सहायक निदेशक, कुमार दीपक, सलाहकार/नोडल आफिसर, आपदा प्रबन्धन केन्द्र, संस्थान तथा अदिति उमराव, परियोजना निदेशक (एमरजेन्सी आपरेशन), राहत आयुक्त कार्यालय उ० प्र० द्वारा प्रतिभागियों को अभिप्रेरित करने के परिप्रेक्ष्य में अपने विषयगत प्रासंगिक बिन्दुओं के माध्यम से ज्ञानवर्द्धन किया गया।
श्री बी0 डी0 चौधरी द्वारा प्रतिभागियों को बताया गया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष (एचडब्ल्यूडब्ल्यू) तब होता है ,जब मानव और वन्यजीव एक ही संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जैसे कि भोजन, पानी और आवास। यह संघर्ष अक्सर तब होता है जब मानव बस्तियां और कृषि के कारण वन्यजीवों के आवास को नष्ट या छोटा किया जाता है। दूसरे शब्दों में “मानव-पशु संघर्ष उन स्थितियों को संदर्भित करता है जहाँ मानव गतिविधियों, जैसे कि कृषि, बुनियादी ढाँचे का विकास अथवा संसाधन निष्कर्षण, में वन्य पशुओं के साथ संघर्ष की स्थिति होती हैं, इसकी वजह से मानव एवं पशुओं दोनों के लिये नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन एवं प्रबन्धन के दृष्टिगत संस्थान के मो0 शारूख, प्रशिक्षण सहायक, मो0 शहंशाह, प्रचार सहायक तथा कलीम खान, एमटीएस का सराहनीय योगदान रहा है।




