चौरासी कोसीय परिक्रमा के दूसरे पड़ाव हर्रैया पहुंचा रामादल




मछरेहटा-सीतापुर। हर हर महादेव और सीता-राम के जयघोष के साथ नैमिषारण्य धाम से शुरू हुई चौरासी कोसीय परिक्रमा के दूसरे पड़ाव हर्रैया धाम पहुंचा रामादल। उत्तर प्रदेश के सुदूर जिलों और पड़ोसी देश नेपाल तक के भक्तजन इसमे श्रद्धा और विश्वास, उल्लास और उमंग के साथ सम्मिलित होते हैं। बताते चलें कि महर्षि दधीचि द्वारा लोक कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करते समय सभी देवी देवताओ ने उन्हे दर्शन दिए । महर्षि ने उनकी परिक्रमा की और अस्थियां दान कीं जिससे निर्मित वज्र के द्वारा दैत्य व्रत्रासुर का वध हुआ और तभी से यह इस परिक्रमा की शुरुआत हुई। रामादल मे अनेक संत विद्वान कथाव्यास और नागा सन्यासियों का जमघट होता है जिसमे संत महात्माओं के उपदेश सुनकर ग्रहस्थ जन अपने जीवन को धन्य मानते है । श्रीमद्भागवत के अनुसार अनेकानेक जन्मों के पुण्यफल जब उदय होते हैं तब मनुष्य को ऐसे संत समागम की प्राप्ति होती है नैमिष व्यास पीठाधीश्वर अनिल शास्त्री के पंडाल में तीन रथ महर्षि वेदव्यास महर्षि दाधीच और राम जानकी रथ बने आकर्षण का केंद्र मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं

