खरगोन टैंकर हादसे में अब तक 16 लोगों की मौत होने के बाद इंदौर के एमवाय अस्पताल में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रही दो मासूम बच्चियों में से 12 वर्षीय शिवानी 37 दिनों बाद स्वस्थ होकर घर लौट गई। उसके जेहन में टैंकर ब्लास्ट का वह सारा दृश्य कौंध रहा है जिसके परिवार वाले उसके दिमाग से निकालना चाहते हैं। हादसे में वह अकेली ऐसी शख्स है जो जीवित घर लौटी है जबकि एक अन्य बच्ची लक्ष्मी अभी भी अस्पताल में एडमिट है।
दुखद पहलू यह कि उसकी मां सुरमा की इस हादसे में 15 दिन पहले ही मौत हुई है। यह बात नन्हीं शिवानी को नहीं बताई गई थी क्योंकि वह एमवायएच में पीडियाट्रिक आईसीयू में एडमिट थी। घर पहुंचने के बाद उसने मां के बारे में कई बार पूछा और जब उसे बताया गया कि उसकी मां अब दुनिया में नहीं है तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। मासूम शिवानी ने परिवार से कहा कि मैं जहां एडमिट थी इसलिए बच गई। अगर मेरी मां को भी मेरे साथ में एडमिट करते तो वह बच जाती।
37 दिन पहले हुआ था हादसा, अब तक 16 की मौत
आज से 37 दिन पहले यानी 24 अक्टूबर की अलसुबह खरगोन में हुए इस भयावह हादसे में शिवानी की रिश्तेदार रानी की मौके पर ही मौत हो गई थी। 17 घायलों को इंदौर के एमवाय अस्पताल में एडमिट किया गया था। इनमें से 15 की मौत हो चुकी है। कुल मिलाकर इस हादसे में अब तक 16 की मौत हो चुकी है।
घायलों में दो मासूम बच्चियां शिवानी पिता प्रकाश व लक्ष्मी पिता गोरेलाल (13) को अलग यूनिट में एडमिट किया गया था। दोनों 41% व 43% झुलस गई थी और काफी गंभीर थी। उधर, बर्न यूनिट में एक-एक कर 15 लोगों की मौत हो गई थी जबकि सबसे आखिरी में बादल पिता भावसिंह (16) की मौत हो गई थी। इस तरह ये दोनों बच्चियां ही जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रही थी। इस बीच शिवानी की मां सुरमा और लक्ष्मी की मां कमला की भी मौत हुई थी लेकिन दोनों बच्चियों को इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।
इलाजरत बच्चियों को कोई सहायता नहीं
उधर, डॉक्टरों ने दोनों बच्चियों को बचाने के लिए काफी प्रयास किए। नतीजतन शनिवार को शिवानी को स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज कर दिया। उसके परिवार में पिता प्रकाश, छोटी बहन सिमरन, अमृता व भाई आकाश हैं। हादसे में जिन 16 लोगों की मौत हुई है उनमें बाकी 15 लोग भी शिवानी के परिवार के रिश्तेदार हैं। उधर, लक्ष्मी की हालत ठीक है लेकिन उसे अभी ठीक होने में समय लगेगा। मप्र शासन द्वारा इस हादसे में जिन लोगों की मौत हो गई है उन्हें 4-4 लाख रु. की सहायता दी गई है जबकि इन दोनों बच्चियों के इलाज के मामले में अभी किसी प्रकार की मदद नहीं मिली है।