सात समंदर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई… ये गाना आपने सुना ही होगा। मध्यप्रदेश में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। राजगढ़ के एक युवक से शादी करने के लिए सात समंदर पार कर एक प्रेमिका उसके पास आ गई। फ्रांस की इस युवती के साथ उसका पूरा परिवार आया। राजगढ़ के नीतेश और कनाडा की ओरियन ने सीहोर में हिंदू रीति-रिवाज से सात फेरे लिए।
ऐसे हुई मुलाकात, पढ़िए…
नीतेश
ने बताया कि 2013 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कनाडा गए थे। वहां उनकी
मुलाकात फ्रांस की ओरियन से हुई। दोस्ती हुई और फिर प्यार हो गया। दोनों ने
जीवन भर साथ रहना तय किया। दोनों का परिवार भी शादी के लिए राजी हो गया।
नीतेश राजगढ़ जिले के कुरावर के रहने वाले हैं। कुरावर में बड़ी होटल या
रिसॉर्ट नहीं है। उन्होंने सीहोर के ग्रेसेस रिसॉर्ट में शादी करना तय
किया। इससे पहले सोमवार को कुरावर में ही हल्दी-मेहंदी की रस्में हुईं।
शादी में फ्रांस से आए 25 मेहमान
नीतेश
के भाई का कहना है कि ओरियन भारतीय संस्कृति में रुचि रखती है। उसे देखकर
ऐसा नहीं लगता कि वो दूसरे देश से है। ओरियन के माता-पिता सहित 25 लोग
फ्रांस से भारत आए हैं। फ्लाइट से सभी सोमवार दोपहर भोपाल पहुंचे। सभी
मेहमान भोपाल के होटल में ठहरे और बुधवार को सीहोर में शादी की रस्मों में
शामिल हुए।
सभी विदेशी मेहमानों का गेंदे के फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया गया। उन्हें खाने में मालवा का प्रसिद्ध व्यंजन दाल बाफले सर्व किया। शादी के रीति-रिवाजों को सभी बारीकी से देख रहे थे। सभी के लिए भारत आना और शादी में शामिल होना बहुत अच्छा अनुभव था।
…भारतीय संस्कृति से प्रभावित हुए विदेशी
शादी के
बाद ओरियन बहुत खुश है। उन्होंने बताया कि वो पहली बार इंडिया आई है। पंडित
जी ने विदेशी बहू को 7 वचन इंग्लिश में समझाए, ताकि वह हिंदू रीति रिवाज
को जान सके। ओरियन के पिता जीन क्लाउड और मां कोरीना ब्लोतीन ने भी नीतेश
के बुजुर्ग रिश्तेदारों से कन्यादान की रस्म के बारे में जानकारी ली। उनका
कहना है कि भारतीय संस्कृति एक महान संस्कृति का प्रतीक है। उन्हें खुशी है
कि बेटी के साथ-साथ वे भी इस संस्कृति से जुड़ने जा रहे हैं। ओरियन के
माता-पिता ने बताया कि उनका परिवार भारतीय इतिहास किताबों को पढ़कर, टीवी
पर देखकर, भारत के पौराणिक संस्थानों मंदिरों को देखकर यहां के संस्कृति से
प्रभावित हुआ है।
नीतेश के पिता का कोरोना से हुआ था देहांत
नीतेश के
पिता सतीश कुमार और ताऊ रामबाबू गर्ग की पहचान धार्मिक और मिलनसार
व्यक्तियों के रूप में थी। दोनों भाइयों ने मिलकर सतीश कुमार रामबाबू फार्म
नाम से बड़ी औद्योगिक संस्था खड़ी की थी। वर्ष 2021 में कोरोना से कुछ
दिनों के अंतर से दोनों भाइयों का देहांत हो गया।