पानी मुफ्त, बिजली मुफ्त, राशन मुफ्त… फेहरिश्त लंबी है। चुनावी रेवड़ियां बांटते-बांटते राज्य सरकारें खोखली हो रही हैं। खर्चों के लिए अपनी संपत्तियों को गिरवी रख रही हैं। पिछले दो साल में ही चार राज्यों आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्यप्रदेश ने 47,100 करोड़ रु. का कर्ज संपत्तियां गिरवी रखकर लिया है। केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने राज्यों के मुख्य सचिवों को आगाह किया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2022 तक 4 राज्यों ने वित्तीय संस्थानों के पास कई संपत्तियों को गिरवी रखा है।




कर्ज लेने का जिक्र बजट में नहीं, इसलिए लोग नहीं जान पाते
वित्त
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि राज्य अपनी जीडीपी का 3.5% कर्ज ही
बाजार से ले सकते हंै। इसका ब्योरा बजट में होता है। लेकिन, मुफ्त की
सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकारें और ज्यादा कर्ज ले लेती हैं। वित्त
मंत्रालय के एक अधिकारी कहते हैं कि ये कर्ज छिपे हुए हैं। राज्य इन्हें
अपने बजट में नहीं दिखाते। वित्त मंत्रालय कोशिश कर रहा है कि यदि कोई
राज्य संपत्ति गिरवी रखता है तो उस राशि को राज्यों की शुद्ध उधार सीमा
(एनबीसी) में शामिल करे।
इस तरह कर्ज के जाल में फंस जाएंगे पंजाब-हरियाणा
कई
राज्य सरकारों ने सार्वजनिक जगहों जैसे पार्क, अस्पताल, सरकारी भवनों,
जमीनें आदि गिरवी रख दी हैं। रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है
कि अगले चार साल में पंजाब पर अपनी जीडीपी का 46.8 फीसदी, राजस्थान पर
39.4 फीसदी, हरियाणा पर 31 फीसदी और झारखंड पर अपनी कुल जीडीपी का 30.2
फीसदी का कर्ज हो जाएगा।
सभी राज्यों को चेतावनी
रिजर्व
बैंक और वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों को चेताया है। जिस रफ्तार में
राज्य कर्ज ले रहे, उस हिसाब से अगले 4 साल में राज्यों का कर्ज उनकी
जीडीपी के 30% से ज्यादा हो सकता है।
