मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान इन दिनों बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। सीधे, सरल और सहज दिखने वाले मुख्यमंत्री इन दिनों सख्त रुख अपनाए हुए हैं। बिना प्रोग्राम अचानक किसी भी जिले के किसी गांव में औचक निरीक्षण करने पहुंच रहे हैं। खामियां मिलने पर कभी मंचों से तो कभी फील्ड इंस्पेक्शन के दौरान सीधे जिम्मेदारों पर एक्शन ले रहे हैं। बीते कुछ दिनों से सीएम के भाषणों का अंदाज भी बदल गया है।
मॉर्निंग मीटिंग में ही अफसरों को सस्पेंड कर रहे
चार
महीने पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल से ही प्रदेशभर के जिलों में
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की समीक्षा करने के लिए मॉर्निंग मीटिंग
की शुरुआत की है। सुबह 6 से 7 बजे के बीच सीएम किसी एक जिले के कलेक्टर,
एसपी सहित विभागों के प्रमुख अधिकारियों, प्रभारी मंत्रियों को वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोड़कर समीक्षा करते हैं। सीएम योजनावार कलेक्टर्स से
वन टू वन स्थिति पूछते हैं। समीक्षा के पहले सीएम उस जिले की जानकारी भी
अपने पास बुला लेते हैं। बैठक में गलत जानकारी देने वाले और लापरवाह अफसरों
पर तुरंत एक्शन भी ले रहे हैं। कई बार सार्वजनिक तौर पर सीएम इस बात को कह
चुके हैं कि मेरी जिलों की समीक्षा बैठक का समय सुबह जल्दी होने से कई लोग
परेशान होते हैं, इसलिए मैंने टाइम थोड़ा आगे बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान से बदला स्पीच का अंदाज
पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से प्रदेश में मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान में सरकारी योजनाओं से छूटे हुए पात्र हितग्राहियों को खोज-खोजकर जोड़ने का अभियान चलाया गया। इसी अभियान के दौरान सीएम के भाषण देने का अंदाज बदल गया। आमतौर पर मंच पर भाषण देने वाले सीएम ने शहडोल जिले के कोटमा गांव में जब मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान के कार्यक्रम में शिरकत की, तो यहां भाषण देने के बजाए सीएम ने योजनाओं को लेकर पब्लिक से फीडबैक लेना शुरू कर दिया। ग्रामीण जिन योजनाओं की शिकायत करते सीएम उस योजना के जिम्मेदार अफसरों से सीधे सवाल पूछ लेते। यहीं से सीएम ने कार्यक्रमों के दौरान लंबा चौड़ा भाषण देने के बजाए टू वे कम्युनिकेशन शुरू कर दिया।
स्टूडेंट्स से अभद्रता करने पर एसपी सस्पेंड
- 18 सितंबर में झाबुआ जिले के एसपी अरविंद तिवारी का छात्रों से फोन पर अभद्रता करने वाला ऑडियो वायरल हुआ था। ये ऑडियो जैसे ही सीएम तक पहुंचा उन्होंने अगली सुबह यानी 19 सितंबर को ही बैठक बुलाई और एसपी अरविंद दुबे को हटाने के निर्देश दिए, कुछ ही देर बाद एसपी को सस्पेंड भी कर दिया गया। अगले ही दिन सीएम ने झाबुआ कलेक्टर को भी बदल दिया।
- 23 सितंबर को सागर जिले की समीक्षा करते हुए पीएम आवास योजना में पैसे लेने वाले रोजगार सहायकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सेवा से पृथक करने के निर्देश दिए।
- 25 सितंबर को झाबुआ के जिला खाद्य अधिकारी एमके त्यागी को सीएम ने हटाने के निर्देश दिए।
- अनूपपुर जिले की समीक्षा के दौरान पीएचई के ईई को गलत जानकारी देने पर सीएम ने माफी मंगवाई।
- श्योपुर जिले की समीक्षा के दौरान राशन वितरण की गलत जानकारी देने पर डीएसओ को सस्पेंड कर दिया। इसके साथ ही पीएम आवास योजना में रिश्वत मांगने वालों को सेवा से समाप्त करने के निर्देश दिए। बड़वानी जिले में सेंधवा के जनपद पंचायत सीईओ को सीएम ने मंच से ही सस्पेंड कर दिया।
- 13 अक्टूबर को रीवा जिले की समीक्षा बैठक में सीएम ने हनुमना में बिजली वितरण की लापरवाही की शिकायतों पर सब इंजीनियर को सस्पेंड करने के साथ ही कामों की जांच कराने के निर्देश दिए।
आदिवासियों के साथ गांव में जमीन पर बैठकर कर रहे चर्चा
मप्र
में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आदिवासियों को अपने पाले में
करने के लिए सीएम ने पूरा फोकस ट्रायबल बेल्ट पर कर रखा है। 15 नवंबर को
पेसा एक्ट लागू होने के बाद से ही सीएम लगातार आदिवासी बहुल जिलों में दौरे
कर रहे हैं। सीएम ने आदिवासी बहुल जिलों में अब संवाद के लिए चौपालों को
जरिया बनाया है। गांवों में पेड़ की छांव में सीएम फर्श पर बैठकर ग्रामीणों
से चर्चा कर उनकी बात सुन रहे हैं। ग्रामीणों की शिकायतों पर अफसरों के
खिलाफ ऑन स्पॉट एक्शन भी ले रहे हैं।
अब बिना बताए उतर रहा सीएम का उड़न खटोला
शनिवार
से सीएम अचानक एक्शन के मोड में आ गए। सुबह से ही सूचना मिली कि सीएम
प्रदेश के किसी भी जिले में जाकर औचक निरीक्षण कर सकते हैं। इसके बाद सीएम
सीधे डिंडौरी के शहपुरा पहुंच गए। यहां सड़क मार्ग से सीधे बेलगांव मध्यम
सिंचाई परियोजना (बिलगढ़ा बांध) करने पहुंचे। यहां लापरवाही की शिकायत
मिलने पर सीएम ने जल संसाधन विभाग के EE वीजीएस सांडिया, SE एसके चौधरी,
SDO बेलगांव एमके रोहतास को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद सीएम ने स्कूल और
छात्रावास का निरीक्षण किया और शहपुरा ब्लॉक के आदिवासी बालक आश्रम, शाला
बड़झर छात्रावास अधीक्षक कमलेश कुमार को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद सीएम
मंडला जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंच गए और सही जानकारी न देने पर
सिविल सर्जन को सस्पेंड कर दिया।
20 जिलों पर फोकस, अफसर और लापरवाह अमला निशाने पर
मप्र
में अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए आदिवासी वर्ग पर सरकार की पूरी
नजर है। प्रदेश के 20 जिलों के 89 ब्लॉक आदिवासी बहुल हैं। सीएम इन सभी
आदिवासी बहुल ब्लॉकों में लगातार दौरे कर रहे हैं। अब सीएम बिना सूचना दिए
किसी भी जिले के दौरे पर पहुंच जाते हैं। खासकर आदिवासी जिलों में राज्य और
केन्द्र सरकार की हितग्राही मूलक योजनाओं और बडे़ प्रोजेक्ट्स को सीएम खुद
मौके पर जाकर देख रहे हैं। ऐसे में जहां खामियां मिल रहीं हैं। छोटे
कर्मचारियों के बजाए बडे़ अफसर नप रहे हैं।
आदिवासियों के बल पर कांग्रेस को मिली थी सत्ता
साल
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47
सीटों में से 31 पर कामयाबी मिल गई थी। आदिवासी अंचल में सीटें बढ़ने से
बीजेपी सत्ता से चूक गई और कांग्रेस की सरकार बन गई। अब बीजेपी ने खासकर
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्राइबल बेल्ट पर पूरा फोकस कर रखा है।