बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक शख्स की उम्रकैद काे कम करके 10 साल जेल की सजा में बदल दिया। 2015 में उसने पत्नी की हत्या कर दी थी। पत्नी का गुनाह सिर्फ इतना था कि उससे मीट करी जल गई थी।
दोषी ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में अपील की थी। मंगलवार को फैसला जस्टिस रोहित देव और उर्मिला जोशी-फाल्के की बेंच ने सुनाया।
पढ़िए कोर्ट ने जजमेंट में क्या कहा…
‘असलियत
में, आरोपी ने हमला करने की तैयारी नहीं कर रखी थी। जब उसने देखा कि उसकी
पत्नी ने खाना नहीं बनाया है, तो उसने पत्नी को अपशब्द कहे और उसके साथ
मारपीट की। इस मामले में जिस हथियार का इस्तेमाल किया गया वह जानलेवा
हथियार है, किसी लकड़ी जैसा। पति को जानकारी थी कि इससे पत्नी को चोट
पहुंचेगी। आरोपी की नीयत भी पत्नी को चोट पहुंचाने की थी। हालांकि आरोपी ने
हालात का गलत फायदा नहीं उठाया और न ही क्रूर या असाधारण तरीके से बर्ताव
किया।’
बेंच ने कहा- इसे मर्डर नहीं कह सकते
बेंच
ने कहा कि पति ने जो किया उसे इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 300 के एक्सेप्शन
4 में रखा जाएगा, जिसके तहत मर्डर को आपराधिक हत्या माना जाता है। इसका
आधार यह है कि यह घटना अचानक हुई और इसकी पहले से कोई प्लानिंग नहीं की गई
थी।
अपने आदेश में बेंच ने नामी साइकेट्रिस्ट सिडनी ब्रांडन की किताब वॉयलेंस इन फैमिली को कोट किया- ‘आंकड़े बताते हैं कि अंधेरा होने के बाद अपने घर में परिवार के बीच होने की बजाय सड़क पर किसी अजनबी के साथ होना ज्यादा सुरक्षित रहता हैं, क्योंकि घर पर हादसे, हत्या और हिंसा होने की आशंका रहती है।’
कोर्ट ने कहा कि यह मामला भी ऐसी ही हिंसा का एक और उदाहरण है।
जानिए क्या था पूरा मामला…
4
सितंबर 2015 को आरोपी पति ने शराब के नशे में अपनी पत्नी को मारा क्योंकि
मीट ठीक से पका नहीं था और जल गया था। ये वारदात पड़ोसियों के सामने हुई और
अगली सुबह पत्नी अपने घर में बेसुध पड़ी मिली। उसे अस्पताल ले जाया गया तो
डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने पति को गिरफ्तार करके पड़ोसियों और आरोपी की बेटी के बयान दर्ज किए। ट्रायल के दौरान बेटी और 4 गवाह बयान से पलट गए। इसके बावजूद प्रॉसिक्यूशन ने आरोपी का गुनाह साबित किया। सेशन कोर्ट ने आरोपी को पत्नी की हत्या का गुनहगार ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट की बेंच ने 10 साल की सजा में बदल दिया है।