बंगाल में एक्टिव साइक्लोन मैंडूस तमिलनाडु में तबाही मचाने के बाद दक्षिण आंध्र प्रदेश की तरफ बढ़ गया है। मौसम विभाग के मुताबिक, शुक्रवार देर रात साइक्लोन मामल्लपुरम तट से टकराने के बाद कमजोर पड़ गया। मैंडूस अगर दिशा बदलकर विशाखापट्टनम तट से टकराता है तो इसका सीधा असर मध्यप्रदेश में भी पड़ेगा। यहां तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होगी। दिन का पारा 15 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाएगा। पूरा प्रदेश शीतलहर की चपेट में आ जाएगा।
भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) भोपाल के रिसर्च एसोसिएट डॉ. गौरव तिवारी को बताया कि मैंडूस का सेंटर चेन्नई होने से मध्यप्रदेश को राहत है। मैंडूस के असर से मध्यप्रदेश में 12 दिसंबर से मौसम में बदलाव होने लगेगा। अभी की स्थिति में इसका सबसे ज्यादा असर इंदौर में दिखाई दे रहा है।
चक्रवात के कारण मध्यप्रदेश में अगला एक सप्ताह मौसम के लिहाज से उथल-पुथल भरा रहेगा। पहले तो तापमान में बढ़त होगी, लेकिन फिर बादल, बारिश की वजह से तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी।
तीन दिन तक यहां ज्यादा असर
प्रदेश
में 12 दिसंबर से हल्की बारिश हो सकती है। तीन दिन तक मैंडूस का सबसे
ज्यादा असर इंदौर, खंडवा, इटारसी, बड़वानी, भोपाल, आगर-मालवा, सागर, रीवा,
छतरपुर, छिंदवाड़ा, बैतूल, जबलपुर और शहडोल में रहेगा। हालांकि, इससे सबसे
ज्यादा महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में प्रभाव रहेगा।
सबसे ज्यादा नुकसान भारत में
सामान्यतयः
बंगाल की खाड़ी अपेक्षाकृत अधिक गर्म होती है। इसके चलते हर साल इसमें
औसतन 3 से 5 चक्रवात बनते हैं, जबकि अरब सागर में 1 से 2 चक्रवात उठते हैं।
इस प्रकार हर साल दुनिया में 8 से 9% चक्रवात सिर्फ उत्तरी हिंद महासागर
में ही बनते हैं। सर्वाधिक आबादी घनत्व होने के कारण सबसे ज्यादा जान-माल
का नुकसान भारत के तटीय राज्यों के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, वियतनाम
देशों में भी होता है।
उत्तरी हिंद महासागर में साल के 2 सीजन में ये चक्रवात पैदा होते हैं। पहला- प्री-मानसून सीजन, जो अप्रैल से मई तक रहता है। दूसरा- पोस्ट-मानसून सीजन, जिसकी अवधि अक्टूबर से दिसंबर तक होती है। समुद्री चक्रवातों के बनने की प्रमुख शर्तों में सबसे जरूरी शर्त है कि समुद्री जल की ऊपरी लगभग 50 से अधिक मीटर की परत का 26.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म होना।