हरे-भरे माहाैल और लाॅन में पाैधाें-वनस्पति के बीच केवल एक महीने ही खेलने-कूदने से बच्चाें की प्रतिराेधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ गई। यूराेपीय देश फिनलैंड में एक प्रयाेग में यह नतीजा सामने आया है। डे-केयर सेंटर के कर्मचारियाें ने केंद्र में ये लाॅन बच्चाें की मदद से विकसित किए। इसमें पाैधाें की देखरेख की जिम्मेदारी बच्चाें काे साैंपी गई। इससे इन बच्चाें के स्वास्थ्य में गजब का सुधार हुआ।
3 से 5 साल के बच्चों पर हुई रिसर्च
शहराें
में कंक्रीट और टाइल्स के बने शानदार डे केयर सेंटराें में खेलने वाले
बच्चाें की तुलना में इन हरे-भरे डे केयर सेंटराें में बच्चाें के टी-सेल्स
और प्रतिराेधक क्षमता के अन्य महत्वपूर्ण मानकों में वृद्धि हाे गई। ये
बच्चे तीन से पांच साल की उम्र के थे। यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी की पर्यावरण
वैज्ञानिक मारजा राेजलंड ने बताया कि सेंटर के इन बच्चाें की आंतों में
पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवी राेजाना जंगल जाने वाले बच्चाें के समान ही
स्वस्थ थे। अध्ययन में यह पहले भी सामने आया है कि हरे-भरे वातावरण में समय
बिताने से प्रतिराेधक प्रणाली मजबूत हाेती है।
अध्ययन में दावा किया गया है कि पहली बार शहरी वातावरण और हरे-भरे माहाैल से प्रतिराेधक क्षमता का सीधा संबंध सामने आया है। स्टडी के अनुसार जीवित चीजाें से भरा पूरा वातावरण प्रतिराेधक प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। वहीं जैव विविधता के न हाेने से स्वास्थ्य पर बुरा असर हाेता है। इसमें प्रतिराेधक क्षमता से संबंधित बीमारियाें के लिए शहराें में जैव विविधता की कमी काे अहम कारण बताया गया है।
प्रकृति से संपर्क आंखों और दिमाग के लिए भी अच्छा
खुली
प्रकृति में बच्चाें का खेलना आंखों के लिए अच्छा हाेता है। यह उनकी बेहतर
मानसिक सेहत से भी जुड़ा है। हरे-भरे स्थान बच्चाें के दिमाग में संरचनागत
बदलाव में भी मदद करते हैं। इन नतीजाें के लिए वास्तव में स्वस्थ हवा,
ज्यादा खेलकूद क्या कारण है, अभी नहीं कहा जा सकता।