एक किसान पर मधुमक्खियों के झुंड ने ऐसा हमला किया कि उसकी जान पर बन आई। पूरे शरीर में सूजन आ गई। शरीर लहूलुहान हो गया। मधुमक्खियों के डंक निकालने में डॉक्टरों को 72 घंटे लग गए। एक-एक डंक निकालने में चीख से ऑपरेशन थिएटर गूंज उठा। लिवर फेल होने लगा। किडनी पर भी असर पहुंच गया। पूरे शरीर पर सूजन इतनी कि यूरिन पूरी तरह बंद हो गई। IV ट्रीटमेंट लगाने के लिए वेन ही नहीं मिल रही थी। WBC (श्वेत रक्त कोशिकाएं) में इन्फेक्शन इतना कि शायद ही किसी मेडिकल लिटरेचर में बताया गया हो।
इस हालत में खंडवा से 29 साल का किसान इंदौर के प्राइवेट अस्पताल पहुंचा और उसकी जान बचा ली गई। यह देश-दुनिया का दुर्लभ केस है। 27 दिन एडमिट रहने के बाद किसान अब स्वस्थ है।
जानिए क्या हुआ था किसान के साथ
घटना खंडवा जिले के मूंदी गांव की है। यहां रहने वाले किसान अविनाश मालवीय (29) 11 नवंबर को अपने खेत में गया था। महुआ के पेड़ पर बने छत्ते से मधुमक्खियों ने अचानक अविनाश पर हमला कर दिया। किसान दौड़ते-चीखते घर तक पहुंचा, तब तक मधुमक्खियों ने उसे अनगिनत डंक मार दिए थे। घर पहुंचते ही मां निशा और भाई अभिषेक ने कंबल ओढ़ाया। अविनाश का शरीर पूरी तरह सूज गया था। बेसुध हो गया थे। मां और भाई ने डंक निकालना शुरू किया। फिर पास ही के एक अस्पताल ले गए, जहां से इंदौर के एक प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया गया।
इंदौर में डॉक्टरों की टीम ने इंटरनेशनल रेफरेंस का उपयोग किया। लगातार 72 घंटे CRRT-CVVHDF (हेमोडियाफिल्ट्रेशन यानी डंक व जहर बाहर निकालने की प्रोसेस) कर बचाया। जहर निकालने के साथ प्लाज्मा एक्सचेंज से नई जिंदगी मिल सकी। युवक करीब 27 दिन एडमिट रहा। घटना के 24 घंटे में ही मरीज को अस्पताल ले जाया गया था, देरी से नुकसान हो सकता था।
ये चैलेंज थे इसलिए ज्यादा रिस्क
- मेडिकल में सांप के काटने पर एंटी डोज दिया जाता है, लेकिन मधुमक्खियों के काटने पर कोई एंटी डोज ही नहीं बना है।
- एंटीबायोटिक्स, स्टेरॉइड्स, पेनकिलर्स के साछ सपोर्टिव सिस्टम अपनाया गया।
- इंटरनेशनल मेडिकल प्रोसेस के तहत प्लाज्मा एक्सचेंज का तरीका अपनाया। टॉक्सिन भरे प्लाज्मा को निकालकर नॉर्मल प्लाज्मा रिप्लेस किया गया।
- ऐसे ही CRRT जो एक स्पेशल डायग्नोसिस है, लगातार 72 घंटे की गई। ऑर्गन्स डैमेज के चलते जो भी टॉक्सिन प्रोडक्ट्स डेवलप हो रहे थे उन्हें निकाला।
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मांसपेशियों में सूजन, मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन भी
अस्पताल के डॉ. जय सिंह अरोड़ा (नेफ्रोलॉजिस्ट), डॉ. ज्योति वाधवानी और डॉ. जयपाल कटारिया ने बताया कि मरीज जब अस्पताल आया तब उसे सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी। पूरे शरीर में सूजन और कई सारे घाव थे। गंभीर हालत में उसे आईसीयू में एडमिट किया गया। यहां कई प्रकार के टेस्ट कराने पर पता चला कि उसे गंभीर संक्रमण के साथ मांसपेशियों में सूजन, सेप्सिस, मसल ब्रेक डॉउन, मल्टी ऑर्गन डिसफंक्शन (शरीर के दो या उससे अधिक अंगों का एक साथ काम बंद कर देना) थे। उसकी हालत और नाजुक होती जा रही थी। मधुमक्खी के काटने से बहुत ज्यादा जहरीले घाव हो गए थे।
यह दुर्लभ केस, जिंदा रहने की संभावना शून्य थी
डॉ. जय सिंह अरोड़ा ने बताया कि इस प्रकार के मामले अपने आप में बहुत ही दुर्लभ होते हैं। जब इतनी बड़ी संख्या में मधुमक्खियां डंक मारती हैं तो व्यक्ति की मौत होने की आशंका ज्यादा होती है। समय पर उपचार मिलने से जान बच सकती है। ऐसे में प्लाज्मा-एक्सचेंज, CRRT-CVVHDF (हेमोडियाफिल्ट्रेशन) और दवाइयां दी जाती हैं। जिन्हें कार्डियक फेलियर, लिवर फेलियर, मल्टी ऑर्गन फेलियर, ऑटोइम्यून बीमारियां या गंभीर बैक्टीरिया या वायरल इंफेक्शंस हुए हैं और जिन्हें ड्रग्स या केमिकल की वजह से पॉइजनिंग हुई है, उन मरीजों के लिए ये दवाइयां कारगर होती हैं।
स्पेशल डायग्नोसिस CRRT के दौरान मरीज काफी कराह रहा था। आमतौर पर एक-दो डंक में ही इंसान तिलमिला जाता है। पूरे ट्रीटमेंट के बाद मरीज की रिकवरी शुरू हुई। मरीज के परिजन की सूझबूझ, उसे समय पर अस्पताल लाने, उसका विल पावर स्ट्रॉन्ग होने और डॉक्टरों के उपचार से किसान की जान बच गई।
भारत में मधुमक्खियों के काटने का डेटा नहीं
भारत में हजारों की संख्या में मधुमक्खियों के काटने संबंधी कोई पब्लिकेशन नहीं है। इस तरह का डेटा यूएस, चाइना, अफ्रीका में उपलब्ध है। वहां की मधुमक्खियों में टॉक्सिन भारत की मधुमक्खियों से कम होते हैं। वहां भी मधुमक्खी के काटने पर CRRT और प्लाज्मा एक्सजेंज की थैरेपी अपनाई जाती है।
AIMS दिल्ली ने माना दुर्लभ केस
किसान के इलाज के लिए AIMS दिल्ली में भी बात की गई थी। वहां भी इस तरह का ये पहला केस था। इसके चलते इंटरनेशनल रेफेरेंस का उपयोग किया गया। अब किसान का केस एक मेडिकल जनरल में प्रकाशित होने जा रहा है, जो फिजियिशन्स, प्राइमरी केयर को नई दिशा देगा।
अब जानिए जानलेवा मधुमक्खियों के बारे में
- एक मधुमक्खी मनुष्य में 120 से 150 माइक्रोग्राम टॉक्सिन इंजेक्ट करती है।
- ऐसे ही एक घातक मधुमक्खी 3 मिलीग्राम टॉक्सिन इंजेक्ट करती है।
- ऐसे में 400 से 500 मधुमक्खियां काटे तो इतना टॉक्सिन हो जाता है कि व्यक्ति का बचना मुश्किल होता है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि जंगल में मधुमक्खी का महत्व काफी ज्यादा है। अन्य वन्यजीवों की तरह यह भी कुछ समय के लिए हिंसक हो जाती है। शहद बनाने के पीक समय में मधुमक्खियां काफी हिंसक हो जाती हैं। अपने आस-पास लोगों की भीड़ को खतरा समझ कर हमला कर देती हैं। कई बार ठंड में बादल छाने पर खेतों में धुआं किया जाता है, इस दौरान भी मधुमक्खियां हमला करती हैं।