RBI के रेपो रेट बढ़ाने के बाद अब बैंकों ने भी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया है। हाल ही में देश के सबसे बड़े बैंक SBI, HDFC, यस बैंक, कोटक महिंद्रा और इंडियन ओवरसीज बैंक ने FD की ब्याज दरों में बदलाव किया है। ऐसे में अगर आप इन दिनों फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने जा रहे हैं तो आपको बैंको की नई ब्याज दरों के बारे में पता होना जरूरी है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आपको अब कहां निवेश करने पर कितना ब्याज मिलेगा।
FD से मिलने वाले ब्याज पर भी देना होता है टैक्स
FD
से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल होता है। आप एक साल में FD पर
जो भी ब्याज कमाते हैं, वो आपकी एनुअल इनकम में जुड़ता है। कुल आय के आधार
पर, आपका टैक्स स्लैब निर्धारित किया जाता है। चूंकि FD पर अर्जित इंटरेस्ट
इनकम को "इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज" माना जाता है, इसलिए इसे टैक्स डिडक्टेड
एट सोर्स या TDS के तहत चार्ज किया जाता है। जब आपका बैंक आपकी ब्याज आय
को आपके अकाउंट में जमा करता है, तो उसी समय TDS काट लिया जाता है।
आइए जानते हैं FD पर टैक्स से जुड़े कुछ पॉइंट:
- यदि आपकी कुल आय एक वर्ष में 2.5 लाख रुपए से कम है, तो बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर TDS नहीं काटता है। हालांकि, इसके लिए आपको फॉर्म 15G या 15H जमा करना पड़ेगा। ऐसे में अगर आप TDS बचाना चाहते हैं तो फॉर्म 15G या 15H जरूर जमा करें।
- यदि सभी FD से आपकी इंटरेस्ट इनकम एक वर्ष में 40,000 रुपए से कम है, तो TDS नहीं काटा जाता है। वहीं अगर आपकी ब्याज आय 40,000 रुपए से अधिक है तो 10% TDS काटा जाएगा। पैन कार्ड नहीं देने बैंक 20% काट सकता है।
- 40,000 से ज्यादा इंटरेस्ट इनकम पर TDS काटने की यह लिमिट 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए है। वहीं 60 साल से ज्यादा उम्र, यानी सीनियर सिटिजन की FD से 50 हजार रुपए तक की आय टैक्स फ्री होती है। इससे ज्यादा आय होने पर 10% TDS काटा जाता है।
- अगर बैंक ने आपकी FD इंटरेस्ट इनकम पर TDS काट लिया है और आपकी कुल आय इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो आप काटे गए TDS को टैक्स फाइल करते समय क्लेम कर सकते हैं। ये आपके अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाएगा।