अमेरिका से लेकर ब्रिटेन, चीन, रूस, एशिया तक आर्थिक रूप से विकसित देश अब पिछड़ते जा रहे हैं। लोग परेशान हैं और देश की आर्थिक तरक्की या तो रुक गई है या फिर विकास दर घटती जा रही है। वजह हैं- राजनेता। वो आर्थिक विकास की बात करके सत्ता में आए लेकिन अब इन्होंने देश को आर्थिक संकट में झोंक दिया है।
आज के नेता कई दशकों में सबसे ज्यादा स्टेटिस्ट हैं। समस्या यह है कि पुनर्जीवित विकास ने राजनेताओं की टू-डू सूचियों को खतरनाक रूप से नीचे गिरा दिया है। उनके चुनावी घोषणापत्र पहले की तुलना में विकास पर कम केंद्रित हैं और सुधार के लिए उनकी भूख गायब हो गई है।
अमीर देशों की हालत…
- व्लादिमिर पुतिन ने रूस को युद्ध में झोंक दिया है तो अमेरिका में जो बाइडेन आर्थिक मंदी की बातें कर रहे हैं।
- चीन में शी जिनपिंग के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। उनका विरोध हो रहा है और शी इन विरोधों को दबाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं।
- ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री लिज ट्रस भी इस पैटर्न में फिट बैठती हैं। आर्थिक विकास के मुद्दे पर वो प्रधानमंत्री बनीं लेकिन महंगाई रोकने में सफल नहीं हुईं।
1980 के दशक से 60% बढ़ीं विकास विरोधी भावनाएं
आर्थिक
मंदी न केवल सीधे तौर पर विकास पहुंचाते है, 1980 के बाद से विकास विरोधी
भावनाएं लगभग 60% तक बढ़ गई है। विकास के मुकाबले बुनियादी ढांचे या छोटे
बच्चों के विकास में निवेश करने के बजाय बुजुर्गों को पेंशन और स्वास्थ्य
देखभाल पर केंद्रित हो गए हैं।