महज 12 साल की उम्र में कैलिफोर्निया की मेडिसन चेकेट्स ने ऐसा इनोवेशन कर दिखाया है, जो पानी के सोर्स से होने वाले प्रदूषण से निपटने में अहम साबित हो सकता है। उसने ऐसी वॉटर बॉटल बनाई है, जिसे खा भी सकते हैं।
जिलेटिन के इस्तेमाल से बनी वॉटर बॉटल
दरअसल,
मेडिसन हर साल छुटि्टयों में एस्कॉनडीडो तट पर जाती थीं। वहां सैकड़ों
प्लास्टिक बॉटल का कचरा देखकर दुख होता था। इस पर छात्रा ने प्लास्टिक
पॉल्यूशन पर रिसर्च की और ‘इको-हीरो’ प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया।
मेडिसन ने जिलेटिन के इस्तेमाल से यह खाने योग्य बॉटल बनाई है। चेकेट्स के
इस प्रोजेक्ट को उटा की चर्चित स्टेम फील्ड की प्रतियोगिता 2022 ब्रॉडकॉम
मास्टर्स कंपीटिशन में पहला स्थान मिला। अब वे इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय
स्तर की प्रतियोगिता में पेश करेंगी।
अमेरिका में हर साल 300 करोड़ बॉटल्स का यूज
शुरुआती
रिसर्च में चेकेट्स को पता चला कि पानी की बॉटल को सिंगल यूज के हिसाब से
डिजाइन किया गया है। इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। इसलिए इनकी
वजह से काफी प्रदूषण फैलता है। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिकी हर साल करीब
300 करोड़ पानी की बॉटल इस्तेमाल करते हैं। इनमें से ज्यादातर की
रिसाइक्लिंग संभव नहीं होती।
नदी-समुद्रों को प्रदूषित कर रहे प्लास्टिक के टुकड़े
अक्सर
बॉटल्स का ये कचरा प्लास्टिक के टुकड़ों के रूप में नदी या समुद्र में
पहुंचकर पानी को प्रदूषित कर देता है। रिसर्च के दौरान चेकेट्स को जेल से
बनी झिल्ली में तरल पदार्थ सहेजने की प्रक्रिया का पता चला। अपने इनोवेशन
में उसने इसी खूबी का इस्तेमाल किया। जिलेटिन मेम्ब्रेन से बनी इस बॉटल में
एक कप से थोड़ा कम पानी रख सकते हैं। इसे बनाने पर खर्च करीब 100 रुपए आता
है।