सामरिक रूप से अति संवेदनशील गुजरात के कच्छ में ड्रग्स तस्कर सक्रिय हैं। तस्कर कच्छ के प्रवेश द्वार सूरजबारी से सामखियाली हाइवे के समानांतर सक्रिय हैं। कच्छ में मौजूद अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों की आंख में धूल झाेंककर तस्कर ढाबे-होटल-गैरेज और ट्रक-लग्जरी बसों के जरिए ड्रग्स की तस्करी कर रहे हैं।
सूत्राें के अनुसार, तस्कर कच्छ को केंद्र बनाकर पूरे गुजरात में ड्रग्स पहुंचाने का जाल बिछा चुके हैं। तस्कर बेराेजगार, ढाबा-होटल में काम करने वाले युवाओं को लालच देकर अपने जाल में फंसा कर ड्रग्स तस्करी से जोड़ रहे हैं।
किराया और जमीन का भाव बढ़ा
इलाके में 20 वर्षाें में जमीन के भाव और किराया जितना बढ़ा, उससे ज्यादा वृद्धि पिछले एक-डेढ़ वर्ष में हुई है। छद्म रूप से सक्रियता के चलते किराया कोई देता है, कारोबार कोई करता है, किराया कोई लेता है। कोरोना से पहले ढाबा-होटल वाले 10 से 20 हजार रु. माह का किराया देते थे। अब यह 1.5 से 2 लाख रु. है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में माना कि ड्रग्स खाड़ी देशों व पाकिस्तान से आते हैं।
खेप लगवाने वाले युवक अब बन बैठे हैं ‘आका’
एक सूत्र ने बताया कि एक ढाबे में वेटर का काम करने वाले युवक को बमुश्किल 3 हजार रुपए वेतन मिलता था। एक बार उसे एक थैली देकर मुंबई भेजा गया। वह मुंबई से लौटा तो उसका वेतन 15 हजार महीने हो गया। उसकी मुंबई की यात्राएं बढ़ गईं। अब यह युवक 27 लाख रु. की कार से चलता है। उसने अपने साथ 9 से 10 युवाओं काे जाेड़ लिया है।
बमुश्किल एक साल में ही इन युवाओं की जीवनशैली बदल गई। संदेह है कि ये युवक ड्रग्स पैडलर बन गए हैं। अब इन्हें 60 हजार रु. मिलते हैं। इन्हें ‘वेतन’ देने वाले 5 से 7 युवक ‘आका’ बन बैठे हैं।