पूरी दुनिया के साथ यूरोप में भी बाजार क्रिसमस के रंग में रंग चुके हैं। हालांकि, इस साल ये त्योहार थोड़ा फीका नजर आ रहा है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन में क्रिसमस के बाजारों में और डिपार्टमेंटल स्टोर में चैनल, गुच्ची, टिफनी, डियोर जैसे लग्जरी ब्रांड डिस्प्ले में लगे तो हैं, लेकिन बिक्री में पहले जैसी गरमाहट नहीं दिख रही है।
जर्मन व्यापार संघ के 400 रिटेलर्स के बीच कराए गए सर्वे में एक चौथाई से भी कम रिटेलर्स इस बार बिक्री को लेकर उत्साहित हैं। दरअसल अक्टूबर में ही रिटेल बिक्री में बीते साल से 5% गिरावट दर्ज हुई थी। नवंबर भी कमजोर ही रहा।
दिसंबर की शुरुआत से ही लोग सेंट निकोलस डे के लिए चॉकलेट और गिफ्ट खरीदना शुरू कर देते हैं; जिन्हें बूट में रखकर बच्चों को गिफ्ट दिया जाता है, लेकिन, महंगाई के चलते इस साल कंज्यूमर कॉन्फिडेंस 31 वर्षों में सबसे कमजोर दिख रहा है।
GDP में गिरावट की आशंका
जर्मनी में महंगाई काफी बढ़ चुकी है। नवंबर में वहां महंगाई दर 10% रही। देश की GDP में इस तिमाही और अगली तिमाही भी गिरावट की आशंका है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया है। इससे रूस ने गैस की सप्लाई बंद कर दी है और जर्मन नागरिकों का बिजली का बिल काफी बढ़ गया है।
महंगाई बढ़ने की आशंका में सोच-समझकर खर्च कर रहे लोग
महंगाई बढ़ने की आशंका में लोग कोविड-19 के दौरान की गई बचत का इस्तेमाल सोच-समझकर कर रहे हैं। क्रिसमस की खरीदारी में कटौती इसी अतिरिक्त समझदारी का हिस्सा है। खुदरा व्यापारी कटबैक-क्रिसमस के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। जर्मन व्यापार संघ ने 2007 के बाद इस साल की क्रिसमस की बिक्री सबसे कमजोर रहने की आशंका जताई है।
निराश लोगों को सरकार डबल-का-बूम से राहत देने के प्रयास में
महंगाई से निराश जर्मन लोगों के लिए खुश होने की कुछ वजहें भी हैं। एक तो पेट्रोल की कीमतों में कमी आई है। इसके अलावा सरकार ने घरों और व्यवसायों का दिसंबर का बिजली बिल माफ करने का ऐलान किया है। अगले साल सरकार डबल-का-बूम लॉन्च करने वाली है। इसमें 80% लोग कवर होंगे। इनका गैस बिल बीते साल की खपत के आधार पर कम कर दिया जाएगा। इससे त्योहार में लोगों को कुछ राहत मिलेगी।