आने वाले दिनों में आपका ऑर्डर किया खाना, कपड़े और अन्य सामान आप तक ड्रोन के जरिए पहुंचेगा। दूर दराज के इलाके में दवाईयों की डिलीवरी ड्रोन से होगी। बड़े पैमाने पर खेतों में कीटनाशकों के छिड़काव से लेकर बुआई का काम ड्रोन के जरिए होगा। सरकारी कामों की निगरानी ड्रोन से होगी। इसके अलावा भी बहुत कुछ काम ड्रोन करेगा।
यानी आने वाले दिनों में ड्रोन इंडस्ट्री एक तेजी से उभरने वाली इंडस्ट्री होगी। इसी सेक्टर से जुड़ा एक स्टार्टअप है ड्रोनआचार्य एरियल इनोवेशन। ये एक ऐसे ड्रोन पर काम कर रहा है जिसकी टेक्नोलॉजी दुनिया की कुछ ही कंपनियों के पास है। ये एक ऐसा ड्रोन होगा जिसे दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आसानी से ऑपरेट किया जा सकेगा।
54 रुपए का शेयर 102 रुपए में लिस्ट
इस कंपनी का IPO आज BSE SME एक्सचेंज पर 102 रुपए प्रति शेयर में लिस्ट हुआ। जो इसके इश्यू प्राइस 54 प्रति शेयर से लगभग 90% ज्यादा है। 102 रुपए पर लिस्ट होने के बाद शेयर की कीमत 5% अपर सर्किट के साथ 107.10 रुपए पर पहुंच गया। शेयर ने 96.90 रुपए का निचला स्तर भी बनाया। अभी ये 107.10 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
243.70 गुना सब्सक्राइब हुआ था IPO
SME IPO 62.9 लाख शेयरों के लिए 13-15 दिसंबर तक खुला था। कंपनी को 34 करोड़ रुपए के इश्यू साइज के मुकाबले 243.70 गुना यानी 6,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के शेयरों की डिमांड मिली थी। इसके प्री IPO राउंड में बॉलीवुड एक्टर आमिर खान और रणबीर कपूर ने भी माइनॉरिटी स्टेक खरीदी है।
ऐसे में यहां हम इस कंपनी के बारे में बता रहे हैं। इसके साथ ही ये भी बताएंगे की ड्रोन टेक्नोलॉजी कैसे दुनियाभर में क्रांति लाने वाली है। भविष्य के एडवांस ड्रोन क्या-क्या काम करेंगे? क्या 2030 तक भारत ड्रोन का मैन्युफैक्चरिंग हब बन जाएगा? ड्रोन इंडस्ट्री में रोजगार की क्या संभावनाएं हैं? भारत में ऐसे कौन-कौन से स्टार्टअप है जो ड्रोन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं?
5 साल पहले शुरू हुआ था स्टार्टअप
ड्रोनआचार्य पुणे बेस्ड स्टार्टअप है और 5 साल से ज्यादा पुराना है। इसके फाउंडर प्रतीक श्रीवास्तव है और इसका मुख्य तौर पर 3 तरह का कारोबार है:
1. ड्रोन पायलट ट्रेनिंग
2. सर्विस
3. ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग
- कंपनी ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से ड्रोन पायलट ट्रेनिंग के लिए लाइसेंस लिया है। DGCA से सर्टिफाइड पायलट 25 किलो तक का कोई भी ड्रोन उड़ा सकते हैं। ये सर्टिफिकेट 10 साल के लिए होता है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले दिनों में देश में 1 लाख से ज्यादा ड्रोन पायलट की जरूरत होगी।
- सर्विस में ड्रोन उड़ाकर डेटा कलेक्ट किया जाता है। इसके बाद कस्टमर डिमांड के हिसाब से डेटा की मॉडलिंग करके दी जाती है। ड्रोन के जरिए जो डेटा जमा किया जाता है उनमें फसल के उगने, फसल की हेल्थ, रोड के बनने की प्रोग्रेस इस तरह का डेटा होता है। ये कंपनी कार्बन फाइनेंस पर वर्ल्ड बैंक के एक प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है।
- कंपनी अगले फाइनेंशियल ईयर से मैन्युफैक्चरिंग शुरू करेगी। कंपनी अभी एक ऐसे ड्रोन पर काम कर रही है जिसे दुनिया के किसी भी कोने से ऑपरेट किया जा सकेगा। इसके अलावा ऐसे ड्रोन भी बनाए जाएंगे जो 24×7 हवा में रहकर लाइव फीड दे सकते हैं। अंडरवाटर ड्रोन और अंडरग्राउंड ड्रोन पर भी कंपनी का काम चल रहा है।
ऑटोमेशन पर ज्यादा फोकस
कंपनी के फाउंडर और MD प्रतीक श्रीवास्तव ने CNBC से बातचीत में बताया कि उन्हें मैन्युफैक्चरिंग (खासकर ऑटोमेशन) और पायलेट ट्रेनिंग में सबसे ज्यादा अपॉर्च्युनिटी दिखाई देती है। वहीं सर्विस में 250 से ज्यादा कंपनी है इसलिए इसमें उनकी कंपनी का ज्यादा फोकस नहीं है। अपनी कंपनी की ग्रोथ स्टोरी के बारे में उन्होंने कहा कि कोरोना के कम होने के बाद 2021 में उनकी कंपनी ने रफ्तार पकड़ी है।