नई दिल्ली : कुछ महीने पहले एक भारतीय एयरलाइन के प्रमोटर ने अहमदाबाद के लिए उड़ान भरी थी। वे अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Adani Group Chairman Gautam Adani) से मिलने गए थे। लोग इसे ‘शिष्टाचार भेंट’ बता रहे हैं। दिलचस्प यह है कि ये दोनों दिल्ली या मुंबई जैसे प्रमुख एविएशन हब की बजाय साबरमती नदी के किनारे बसे शहर में मिलते हैं। यह भारतीय विमानन जगत में बदलाव की आहट दे रहा है। यह एक ऐसा सेक्टर है, जहां कल के पोस्टर बॉय जेट एयरवेज के नरेश गोयल, एयर डेक्कन के कैप्टन जीआर गोपीनाथ, किंगफिशर एयरलाइंस के विजय माल्या और जीवीके पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के जीवी संजय रेड्डी गुमनामी में जाते दिखे हैं।
हवाई यातायात के पांचवें हिस्से पर अडानी का कब्जा
अहमदाबाद, गुवाहाटी, जयपुर, लखनऊ, मंगलुरु और तिरुवनंतपुरम के अलावा मुंबई के प्रमुख हवाई अड्डों के अधिग्रहण के साथ अब भारत के हवाई यातायात के पांचवें हिस्से की देख-रेख अडानी ग्रुप के हाथों में है। अडानी की फ्लिपकार्ट समर्थित ट्रेवल पोर्टल क्लियरट्रिप में भी हिस्सेदारी है। साथ ही अडानी ग्रुप के हालिया अधिग्रहणों में विमान-रखरखाव फैसिलिटी एयर वर्क्स भी शामिल है।
1. नया रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल
एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (AERA) एयरपोर्ट्स के आधुनिकीकरण के लिए अडानी ग्रुप द्वारा दिये गए प्रस्ताव पर विचार करने की उम्मीद है। इनमें से एक अहमदाबाद का एयरपोर्ट है। ग्रुप ने एयरपोर्ट्स के आधुनिकीकरण के लिए पैसा कहां से आएगा, इसके लिए भी एक प्रस्ताव दिया है। ग्रुप ने घरेलू यात्रियों के लिए हवाई किराए पर यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF) को 100 रुपये से बढ़ाकर 703 रुपये करने और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए 1,400 रुपये करने का प्रस्ताव दिया है। अडानी ग्रुप ने एयरपोर्ट पर कमर्शियल एक्टिविटीज से आने वाले रेवेन्यू को शेयर करने के लिए एक नए स्ट्रक्चर का प्रस्ताव भी दिया है। इस मॉडल के तहत अहमदाबाद एयरपोर्ट अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स को ड्यूटी फ्री स्टोर्स, विज्ञापन, लाउंज, रेस्तरां, होटल, खुदरा दुकानों आदि जैसे सभी गैर-वैमानिकी व्यवसायों को आउटसोर्स करेगा। इसके बाद अडानी ग्रुप की कंपनी एयरपोर्ट को रेवेन्यू का एक हिस्सा देगी।
2. और अधिक एयरपोर्ट्स
सरकार की साल 2025 तक 25 एयरपोर्ट्स को निजी सेक्टर को लीज पर देने की योजना है। इनमें भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट और कोयंबटूर भी शामिल हैं। इनमें से 11 को पहले चरण में लीज पर दिया जा सकता है। उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस महीने की शुरुआत में ऐसा कहा था। अडानी इस बिजनस में तेजी से विस्तार करना चाहता है। विशेष रूप से वह सबसे पहले अपने गृह राज्य गुजरात के एयरपोर्ट्स का बिजनस अपने हाथ में लेना चाहता है।
3. अधिग्रहण
एयर वर्क्स पहले ही अडानी ग्रुप के पोर्टफोलियो का हिस्सा बन गई है। अब अडानी ग्रुप की निगाह एयर इंडिया की भूतपूर्व इंजीनियरिंग इकाई एआई इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) और ग्राउंड-हैंडलिंग यूनिट एआई एयरपोर्ट्स सर्विस लिमिटेड (AIASL) पर है। ये जल्द ही निजीकरण के लिए आ रही हैं। नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘इंजीनियरिंग पीआईएम (Preliminary Information Memorandum) पहले आ सकती है। ग्राउंड हैंडलिंग यूनिट में भी बहुत सारी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की रुचि है।’ ऐसे में यह एक और ऐसा एरिया है जहां अडानी और टाटा के कॉमन इंट्रेस्ट्स हो सकते हैं। यह है इंजीनियरिंग यूनिट। यह अभी भी एयर इंडिया को सपोर्ट करती है। यह टाटा की भी एक रणनीतिक जरूरत हो सकती है।
क्षमता की कमी और बढ़ता हवाई किराया
पिछले तीन वर्षों से भारतीय यात्रियों ने 30% उच्च हवाई किराए का भुगतान किया है। इसे भी हम आंशिक रूप से बढ़ोतरी कह सकते हैं। क्योंकि विमानन मंत्रालय ने हवाई किराए पर एक सीमा तय कर रखी है। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए था कि कहीं महामारी में कमजोर एयरलाइंस बंद ना हो जाएं। लेकिन अब डेली डोमेस्टिक पैसेंजर ट्रैफिक 4.2 लाख यात्रियों के साथ दिसंबर 2019 के स्तर तक पहुंच चुका है और कोई किराया सीमा नहीं है। ईंधन की उच्च कीमतों और रुपये में कमजोरी से किराया अधिक बना हुआ है। कैपेसिटी की कमी आग में घी डालने का काम कर रही है। कोरोना महामारी से पहले एयरलाइंस 3200 डोमेस्टिक उड़ानें संचालित कर रही थीं। वहीं, अब केवल 2800 उड़ानें ही हैं। अंतर सिर्फ यह है कि इस समय फ्लाइट्स में लोड काफी अधिक है। कभी-कभी यह 90 फीसदी से भी अधिक होता है। यह कोरोना महामारी से पहले 80 फीसदी था। फ्लाइट्स की संख्या में कमी कुछ हद तक नगदी संकट से जूझ रही स्पाइसजेट के चलते है। इसने अपने शेड्यूल में भारी कटौती की है। इस बीच इंडिगो और गो फर्स्ट के करीब 70 विमान ग्रांउंडेड हैं। इंजर बनाने वाली कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी ग्लोबल सप्लाई चेन में इश्यू के चलते मरम्मत किये गए इंजन्स की सप्लाई नहीं कर पा रही है।
अब कंपनियां बढ़ा रहीं अपने विमानों की संख्या
इस बीच टाटा ग्रुप की एयर इंडिया ने अगले साल अपने बेड़े में 42 अन्य विमान शामिल करने की घोषणा की है। वहीं, विस्तारा 16 नए विमान शामिल करेगी। इस तरह चंद्रशेखरन के नेतृत्व वाला एयर इंडिया ग्रुप (Air India Group) अगले साल हवाई किराए को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। राकेश झुनझुनवाला समर्थित अकासा एयर भी अपने 10-विमानों के बेड़े को लगभग 25 विमानों तक ले जाएगा। 280 विमानों के बेड़े के साथ इंडिगो को प्रति माह लगभग चार नए विमान शामिल करेगा, जबकि यह आम तौर पर तीन वापस भेजता है। 60 विमानों के बेड़े वाला गो फर्स्ट हर महीने एक नया विमान जोड़ेगा। 45 ऑपरेशनल प्लेन वाली अजय सिंह की स्पाइसजेट ने यह नहीं बताया कि वह कितने प्लेन जोड़ेगी। इस तरह अगले साल भारतीय विमान बेड़े में करीब 80 नए नैरो-बॉडी प्लेन्स शामिल हो सकते हैं।
किसकी हुई थी अडानी के साथ मीटिंग?
यही सब वजह हैं कि साल 2023 में इंडियन एविएशन की कमान शांतिग्राम स्थित अडानी और बॉम्बे हाउस बेस्ड चंद्रशेखरन के हाथों में होगी। अब अहमदाबाद गई उस उड़ान की बात करते हैं। अडानी से मिलने गए व्यक्ति और कोई नहीं, बल्कि भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन के मालिक और देश के विमानन सेक्टर के नए पोस्टर बॉय इंडिगो के राहुल भाटिया (Rahul Bhatia) थे।