देश में प्रतिबंधित चरमपंथी इस्लामी संगठन PFI की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अब भी देश में इसके करीब दो लाख सदस्य सक्रिय हैं। भास्कर ने इसकी परतें उधेड़ने के लिए PFI की जांच में लंबे समय तक लगे रहे पुलिस और इंटेलिजेंस अफसरों से बात की और संगठन के मुख्य ठिकानों को भी खंगाला।
इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में सामने आया है कि PFI ने राज्यों में ग्रामीण से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कमेटियां बना रखी हैं।
संगठन में नए सदस्य की भर्ती की प्रक्रिया के 4 चरण होते हैं। इनके लिए अलग-अलग पैमाने तय हैं। ट्रेनिंग देने, ब्रेनवॉश करने और लीगल दांव-पेंच के लिए अलग-अलग कैडर बने हुए हैं। हर कैडर के लोगों की सैलरी भी अलग-अलग है। इलाज से लेकर घर की जरूरत की हर चीज दी जाती है। बाहर भेजने पर अलग से खर्च देते हैं। पकड़े जाने पर सुप्रीम कोर्ट के बेहतर वकील लगाए जाते हैं।
संगठन में महिलाओं का भी अलग विंग है
स्थायी सदस्य का दर्जा पाने के लिए 3 स्टेज की ट्रेनिंग पूरी करनी पड़ती है। स्थायी सदस्य को अपने होम टाउन से बाहर किसी और राज्य में काम करना होता है। वह शादी भी नहीं कर सकता। संगठन में महिलाओं की अलग विंग है।
सभी को जिम्मेदारी दी जाती है कि वे अपने पड़ोस में रहने वाले 15 घरों को PFI का सदस्य नहीं बनाएंगे, लेकिन उन्हें PFI समर्थक बनाकर उनकी विचारधारा बदलनी होगी। उन्हें इस तरह बरगलाना है कि इस्लाम की बात आते ही वे सड़कों पर उतर जाएं।
4 चरणों में ऐसे काम करता है संगठन
स्टेज-1 : मुस्लिम बहुल इलाकों में शाखा खुलवाने का काम
किसी व्यक्ति को चुनने के बाद 4 महीने तक उस पर नजर रखी जाती है। उसके खानदान की पूरी हिस्ट्री तैयार करवाते हैं। फिर भरोसा होने पर पहली स्टेज का सदस्य बनाते हैं। नजर रखे गए 20 लोगों में से सिर्फ 2 ही कसौटी पर खरे उतर पाते हैं। ये ही पहली स्टेज के सदस्य बनते हैं। स्टेज-1 के सदस्य मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में शाखाएं खोलने, लोगों को दवाई-खाना आदि पहुंचाने का काम करते हैं।
स्टेज-2 : 6 महीने काम करके खुद को साबित करना होता है
स्टेज-1 में चुने गए 2 सदस्यों को 6 महीने काम करके साबित करना होता है वे PFI और धर्म के कट्टरपंथी फॉलोअर बना सकते हैं। इसके बाद ही उन्हें स्टेज-2 में चुना जाता है। इसके बाद उन्हें सोशल मीडिया के जरिए मैसेज फैलाने से लेकर पुलिस से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है।
स्टेज-3 : महाराष्ट्र, केरल में 3 महीने ट्रेनिंग करवाते हैं
यहां पहुंचने लोग वाले स्थायी सदस्य हो जाते हैं। उन्हें अपना घर और जिला छोड़ना पड़ता है। इसके बाद उन्हें सैलरी और भत्ते मिलने शुरू होते हैं। वर्दी मिलती है। 3 महीने की ट्रेनिंग के लिए महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक भेजा जाता है। इस दौरान उन्हें पूरा घर खर्च मिलता है। संगठन के विस्तार की ट्रेनिंग दी जाती है।
स्टेज-4 : इंटरनेशनल लिंक बनाने का काम करते हैं
स्टेज 3 को पार करने वाले ही लेवल 1 एवं 2 के लिए ट्रेनर तैयार करते हैं। स्टेज-3 के सिर्फ 5% सदस्यों को ही इसमें प्रवेश दिया जाता है। इनका काम इंटरनेशनल लिंक्स बनाना और फंड को इकट्ठा करने के साथ ही उसे व्यवस्थित करना होता है।