नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने अपने विदाई कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि भारतीय न्यायपालिका को लैंगिक असमानताओं से मुक्त कहना वास्तविकता से कोसों दूर है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस नजीर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी स्थापना के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुकी है और भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के मार्गदर्शन में आज के समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है, लेकिन सुधार की गुंजाइश फिर भी मौजद है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में जस्टिस नजीर का बुधवार अंतिम दिन था। विदाई समारोह में जस्टिस नजीर ने संस्कृत के श्लोक के साथ अपना संबोधन समाप्त किया।