नई दिल्ली : अपने पवित्रतम तीर्थ सम्मेद शिखरजी को लेकर इन दिनों देश भर में जैन समुदाय आक्रोशित और आंदोलित दिख रहा है। देश में जगह-जगह सम्मेद शिखर को लेकर आंदोलन हो रहे हैं। दरअसल, जैन मतावलंबी अपने प्रमुख तीथ सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित किए जाने का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली से लेकर मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर सहित देश के तमाम हिस्सों में इस मुद्दे को लेकर तीखा विरोध सामने आ रहा है। हाल ही में जैन समुदाय के एक संत सुज्ञेयसागर महाराज का निधन हो गया, जो इस मुद्दे के विरोध में अनशन कर रहे थे। मामला को बढ़ता देख इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अब केंद्र सरकार ने गुरुवार को जैन प्रतिनिधियों से मुलाकात का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सुबह ग्यारह बजे जैन प्रतिनिधियों को मिलने के लिए बु़लाया है। जहां वह प्रतिनिधि मंडल से मिलकर उनका पक्ष, चिंताएं व सरोकार जानेंगे।
सम्मेद शिखरजी को झारखंड सरकार फरवरी 2019 में पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। उसी साल अगस्त 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड यानी इको सेंसिटिव जोन) घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता है। फरवरी 2022 में झारखंड सरकार की ओर से सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने को लेकर एक नोटिस जारी किया, जिसके बाद विरोध शुरू हुआ। दरअसल, इस इलाके में एक पारसनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी है। उल्लेखनीय है कि यह पूरा इलाका 6490 हेक्टेयर का है, जिसमें 4933 हेक्टेयर की सेंचुरी है। जिसे सरकार पर्यटन के लिहाज से विकसित करना चाह रही है।