नई दिल्ली:यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए दो राज्यों की ओर से बनाई गई कमिटियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान राज्यों को ऐसी समितियां बनाने का अधिकार देता है। गुजरात और उत्तराखंड की सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पिछले दिनों कमेटियों का गठन किया था। राज्य सरकारों के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सोमवार को कहा कि इस मामले में दाखिल याचिका में कोई मेरिट ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-162 के तहत राज्य के पास यह अधिकार होता है कि वह ऐसी कमेटियां बना सके। इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं है।
पिछले दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए पांच सदस्यीय ड्राफ्ट कमेटी की घोषणा की हुई है। कमेटी कानून का एक ड्राफ्ट तैयार करेगी, जिस पर सरकार आगे का फैसला लेगी। इसी तरह गुजरात सरकार ने भी एक कमिटी बनाई है। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया था, लेकिन वह राज्य के चुनाव में हार गई थी।
धर्म परिवर्तन गंभीर मसला, इसे राजनीतिक रंग न दें : SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जबरन धर्म परिवर्तन गंभीर मसला है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान किए जाने के खिलाफ दाखिल अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि इस मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट आएं और सहयोग करें। इस दौरान तामिलनाडु सरकार के वकील ने कहा कि याचिका राजनीति से प्रेरित है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतराज जताया और कहा कि आपकी परेशानी अलग हो सकती है। बेंच को अलग दिशा में न ले जाएं। हम देश के हर राज्य को लेकर चिंतित हैं। अगर यह सब आपके राज्य में हो रहा है, तो यह गलत है। इस मामले को राजनीतिक रंग न दें।
पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन गंभीर मसला है और इससे देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
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