नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से मुसीबतों में फंसा अडानी ग्रुप फिर चर्चा में है। अडानी ग्रुप ने दावा किया है कि उसने 2.15 अरब डॉलर की रिपेमेंट कर दी है। लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट में इस दावे पर सवाल उठाए गए थे। The Ken की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी ग्रुप ने आंशिक रिपेमेंट के जरिए लोन अमाउंट में कमी की है ताकि उसे और शेयर गिरवी न रखने पड़ें। ग्रुप ने बैंकों के एक्शन से बचने के लिए ऐसा किया है। यह भी आरोप लगाया गया कि अडानी ग्रुप के प्रीपेमेंट के ऐलान के बाद बैंकों ने केवल अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) के गिरवी शेयर ही रिलीज किए हैं। अडानी ग्रुप ने द केन की इस रिपोर्ट को भ्रामक बताया है। ग्रुप ने इस रिपोर्ट की आलोचना की है।
निराधार है द केन की रिपोर्ट
द केन की रिपोर्ट का खंडन करते हुए अडानी ग्रुप ने कहा है कि यह दावा पूरी तरह से निराधार है। अडानी ग्रुप ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि सभी गिरवी रखे गए शेयरों को रीपेमेंट कर दिए गए हैं। अडानी ग्रुप ने मंगलवार को रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए आलोचना की थी। बता दें कि नियमों के अनुसार, किसी भी शेयर को गिरवी रखने या रिलीज करने की सूचना डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट के एसडीडी (System Driven Disclosure) द्वारा ऑटोमेटिक रूप से चली जाती है। इसमें कोई अलग फाइलिंग करने की जरूरत नहीं होती है। अडानी ग्रुप ने दावा किया है कि उसने प्रमोटर्स के सभी मार्जिन लोन का पूरा पेमेंट किया है।
लगातार हो रहा नुकसान
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने बीती 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट जारी की थी। इसमें अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। इस स्थिति से निपटने के लिए अडानी ग्रुप ने अरबों डॉलर के लोन के पेमेंट का दावा किया था। इसके बाद अडानी के शेयरों में गिरावट रुक गई थी। हालांकि अब दोबारा कुछ दिनों से अडानी ग्रुप के स्टॉक्स में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। ग्रुप का मार्केट कैप 80 हजार करोड़ र पये से ज्यादा घट चुका है।