भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ (ISRO chief S Somanath) ने कहा है कि भारत के पास चंद्रमा, मंगल और शुक्र की यात्रा करने की क्षमता है लेकिन हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की ज़रूरत है. हमें और अधिक निवेश की आवश्यकता है और अंतरिक्ष क्षेत्र का विकास होना चाहिए, इससे पूरे देश का विकास होगा यही हमारा मिशन है.हम उस विजन को पूरा करने के लिए तैयार हैं जो प्रधानमंत्री मोदी ने हमें दिया है. ISRO प्रमुख ने कहा कि देश का पहला सोलर मिशन आदित्य-एल1 (Solar mission Aditya-L1) अगले महीने सितंबर में लांच किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आदित्य-एल1 सितंबर के पहले सप्ताह में इसे श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से लांच किया जाएगा.लांच के तारीख की घोषणा दो दिनों के भीतर की जाएगी. उन्होंने बताया कि प्रक्षेपण के बाद यह एक अण्डाकार कक्षा में जाएगा और वहां से यह एल1 बिंदु तक यात्रा करेगा जिसमें लगभग 120 दिन लगेंगे. उन्होंने कहा, ”आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला होगी.
ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कल केरल में कहा कि चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3) की कामयाबी पर बहुत खुश हैं.वैज्ञानिक मिशन के अधिकांश उद्देश्य पूरे होने जा रहे हैं. सभी वैज्ञानिक डेटा बहुत अच्छे दिख रहे हैं. हम आने वाले 14 दिनों में चंद्रमा से डेटा मापना जारी रखेंगे.हमें उम्मीद है कि ऐसा करते हुए हम विज्ञान में सफलता हासिल करेंगे.हम अगले 13-14 दिनों के लिए उत्साहित हैं.
2 सितंबर को लांच करने की तैयारी
बता दें कि आदित्य-एल1 मिशन को दो सितंबर को भेजे जाने की संभावना है. इस अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु) पर सौर वायु के यथास्थिति अवलोकन के लिए तैयार किया गया है. एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. यह सूर्य के अवलोकन के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा. आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे.
ये जानकारी हासिल करेगा आदित्य-एल1
इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि आदित्य-एल1 पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है. बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड’ के विकास में अहम भूमिका है, जबकि पुणे के ‘इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स’ ने मिशन के लिए ‘सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड’ विकसित किया है. आदित्य-एल1, अल्ट्रावॉयलेट पेलोड का उपयोग करके सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) और एक्स-रे पेलोड का उपयोग कर सौर क्रोमोस्फेयर परतों का अवलोकन कर सकता है. पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं.