इक्विटी मार्केट के लिए 2021 और 2022 शानदार रहे। अर्थव्यवस्था को महामारी के चुनौतीपूर्ण हालात से उबारने के लिए केंद्रीय बैंकों ने सस्ते और आसान कर्ज मुहैया कराए। लेकिन ये सहूलियतें खत्म हो रही हैं। देश में तो महंगाई दर कुछ ही महीनों की ऊंचाई पर है, लेकिन कई देशों में 40-50 साल के रिकॉर्ड स्तर पर है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई।
ऐसे में अमेरिकी फेड और RBI समेत ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। इसके चलते अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई। इस बीच सेंसेक्स और निफ्टी हालांकि रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचे, लेकिन इसमें सिर्फ 5% शेयरों का योगदान रहा। कुल मिलाकर हालात चुनौतीपूर्ण हैं, लिहाजा नए साल में निवेश की रणनीति बदलनी होगी। ICICI प्रू म्यूचुअल फंड के ईडी और सीआईओ एस. नरेन आपको कुछ निवेश के बारे में बता रहे हैं जो नए साल में आपको अच्छा मुनाफा दे सकते हैं…
छोटी अवधि के डेट फंड
मौजूदा
हालात में डेट (जैसे बॉन्ड) फंड्स बेहतर नजर आ रहे हैं। ज्यादा महंगाई और
बढ़ती ब्याज दरों के चलते बॉन्ड यील्ड बढ़कर 7.25% हो गई, जो जनवरी में 6.6%
थी। ये ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। इसकी वजह से छोटी अवधि के डेट फंड
में पैसा लगाना शानदार निवेश साबित हो सकता है।
गोल्ड पर बढ़ा भरोसा
सोना
2023 में शानदार एसेट क्लास साबित हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी मार्केट
जमीन पर आने के बाद गोल्ड में निवेश बढ़ रहा है। याद रखें कि करीब 54,000
रु. के मौजूदा लेवल पर भी सोना रिकॉर्ड स्तर से 2,100 रुपए नीचे है। इसके
अलावा केंद्रीय बैंकों का रुख भी गोल्ड को सपोर्ट कर रहा है।
मल्टी एसेट फंड
यदि
आप अलग-अलग एसेट क्लास के नफे-नुकसान के उलझन में नहीं पड़ना चाहते तो
मल्टी एसेट फंड पर भी विचार कर सकते हैं। इसके फंड मैनेजर इक्विटी, डेट और
गोल्ड समेत अन्य एसेट क्लास में भी निवेश की रकम को एक साथ एलोकेट करते
हैं। इससे आपको सहूलियत होगी।
डायनेमिक बॉन्ड फंड
निवेशक
डायनेमिक बॉन्ड फंड पर गौर कर सकते हैं। यदि आपको 1-2 साल के लिए निवेश
करना है तो इस कैटेगरी के फंड 10% से ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं। लिक्विड
और अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड ब्याज आधारित किसी भी पारंपरिक निवेश से बेहतर
साबित होंगे। महंगाई ज्यादा हो तो ऐसे फंड का रिटर्न अमूमन बढ़ जाता है।
इक्विटी को भी न छोड़ें
इक्विटी
में रिस्क बढ़ा है, लेकिन इसमें कुछ निवेश बनाए रखना अच्छी रणनीति होगी।
कॉरपोरेट प्रॉफिट-जीडीपी अनुपात अभी एक दशक के ऊंचे स्तर पर है। मतलब
कंपनियों के पास क्षमता विस्तार की गुंजाइश बची है, जो अभी 72% है। क्षमता
बढ़ने से बिजनेस बढ़ेगा। ऐसे में मजबूत कंपनियों के शेयर चढ़ेंगे।