जलेसर में आयोजित हुआ अहिल्याबाई होल्कर महिला सशक्तिकरण सम्मेलन
जीवन से हताश लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने जनहित में किया सफल राज का संचालन – नीलम प्रजापति
जलेसर/एटा। महान वीरांगना, त्याग व न्याय की प्रतिमूर्ति एवं पुण्यश्लोक लोकमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष स्मृति अभियान के तहत ब्लॉक सभागार में महिला सशक्तीकरण सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्लॉक प्रमुख भूदेवी यादव ने की। जबकि मुख्य अतिथि पूर्व एमएलसी एवं डीसीबी चेयरमैन प्रत्येन्द्र पाल सिंह रहे। कार्यक्रम का संचालन बीडीओ पीएस आनन्द द्वारा किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता एवं वरिष्ठ भाजपा नेत्री नीलम प्रजापति ने लोकमाता अहिल्याबाई के कृतत्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अहिल्याबाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के इतिहासकारों के अनुसार साधारण शिक्षित अहिल्याबाई 10 वर्ष की अल्पायु में ही होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव के साथ परिणय सूत्र में बंध गई थीं। अपनी कर्तव्यनिष्ठा से उन्होंने सास-ससुर, पति व अन्य सम्बन्धियों के हृदयों को जीत लिया। समयोपरांत एक पुत्र,एक पुत्री की माँ बनीं।अभी वह यौवनावस्था की दहलीज पर ही थीं कि उनकी 29 वर्ष की आयु में पति का देहांत हो गया। सन् 1766 ई. में वीरवर ससुर मल्हारराव भी चल बसे। अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से एक महान साया उठ गया । उन्हें शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। कालांतर में देखते ही देखते पुत्र मालेराव, दोहित्र नत्थू, दामाद फणसे, पुत्री मुक्ता भी माँ को अकेला ही छोड़ चल बसे। परिणामस्वरूप ‘माँ’ अपने जीवन से हताश हो गई। परन्तु प्रजा हित में उन्होंने स्वयं को संभाला और सफल दायित्वपूर्ण राज- संचालन करती हुई 13 अगस्त, 1795 को नर्मदा तट पर स्थित महेश्वर के किले में भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखाकर सदैव के लिए महानिदा में सो गईं। कार्यक्रम में भाजपा मंडल अध्यक्ष नोहखास आशु ठाकुर, खंड विकास अधिकारी पी. एस.आनंद, ग्राम प्रधान शीलेन्द्र सिंह राजपूत, ग्राम प्रधान भोली शर्मा एवं पंचायत प्रतिनिधि गण उपस्थित रहे।





