नई दिल्ली। साल 2015 से लेकर अभी तक यह नवंबर नौ साल का सबसे प्रदूषित माह साबित होने जा रहा है। आलम यह है कि इस माह के 24 दिनों में से अभी तक एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब दिल्ली का एक्यूआइ 200 से नीचे गया हो। मतलब, इस माह में दिल्ली वासी लगातार ”खराब”, ”बहुत खराब”, ”गंभीर” या फिर ”अत्यंत गंभीर” श्रेणी की हवा में सांस लेनी पड़ रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक शनिवार सुबह दिल्ली का एक्यूआइ 500 तक पहुंच गया है। इस स्तर की हवा को ”गंभीर” श्रेणी में रखा जाता है। एक दिन पहले शुक्रवार को यह 400 रहा था। चौबीस घंटे के भीतर इसमें 25 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
20 इलाकों की हवा सांस लेने लायक बिल्कुल नहीं
दिल्ली के बीस इलाके ऐसे हैं जहां का एक्यूआइ ”अत्यंत गंभीर” श्रेणी में पहुंच गया है। यहां एक्यूआई 400 पार पहुंच चुका है। वहीं, कुछ इलाकों में एक्यूआई 470 पार कर चुका है। ये सभी इलाके ऐसे हैं जिनकी पहचान पहले से ही प्रदूषण के हाट स्पॉट के तौर पर की जाती है।
आनंद विहार- 460
अलीपुर- 446
बवाना- 468
बुराड़ी-427
करणी सिंह शूटिंग-416
द्वारका 437
आईजीआई एयरपोर्ट-423
जहांगीरपुरी-469
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम-402
मेजर ध्यानचंद स्टेडियम-420
मंदिर मार्ग 417
वजीरपुर-464
विवेक विहार-471
सोनिया विहार-449
शादीपुर-401
नरेला-431
पटपड़गंज-462
पंजाबी बाग-463
आरके पुरम-430
नजफगढ़-404
सामान्य से चार गुना ज्यादा प्रदूषण
मानकों के मुताबिक हवा में प्रदूषक कण पीएम 10 का स्तर 100 से और पीएम 2.5 का स्तर 60 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे कम स्तर पर होने पर ही उसे स्वास्थ्य के लिए हितकर माना जाता है। लेकिन, दिल्ली और एनसीआर की हवा में शुक्रवार की शाम चार बजे पीएम 10 का औसत स्तर 413 और पीएम 2.5 का औसत स्तर 239 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर रहा। यानी दिल्ली और एनसीआर की हवा में प्रदूषक कणों का औसत स्तर मानकों से चार गुना ज्यादा है।
हवा की रफ्तार हो गई है बेहद कम
दिल्ली में इस समय हवा की रफ्तार बेहद कम हो गई है। खासतौर पर सुबह के समय हवा एकदम शांत चल रही है। दिन में भी जब हवा चलती है तो उसकी रफ्तार चार किमी प्रति घंटे के आसपास ही रह रही है। इसके चलते प्रदूषक कणों का बिखराव बेहद धीमा हो रहा है। स्मॉग की परत भी आसमान में छाई हुई है। लोगों को सामान्य से ज्यादा प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। पृथ्वी मंत्रालय द्वारा तैयार वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक अगले तीन दिनों के दौरान भी हवा की गति आमतौर पर दस किमी प्रति घंटे से कम रहेगी। इसके चलते प्रदूषण की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही बनी रहेगी।