गोरखपुर। समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीआरएस) पर की जाने वाली शिकायतों के निस्तारण में कोरम पूर्ति के मामले आते रहते हैं, लेकिन कुछ राजस्व कर्मी पूरी तरह से फर्जी रिपोर्ट भी लगा रहे हैं। सदर तहसील क्षेत्र के एक लेखपाल ने कुछ ऐसा ही कारनामा किया है। एक मामले को उलझाने के लिए उसने ऐसी धारा में मामला डीएम कोर्ट में लंबित होने की झूठी रिपोर्ट लगा दी, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार ही इस कोर्ट में ही नहीं। जांच हुई तो पता चला कि वह मामला न तो डीएम कोर्ट में लंबित है और न ही उस धारा में सुनवाई का अधिकार है। जिलाधिकारी ने संबंधित लेखपाल को निलंबित करने का निर्देश दिया है।
यह है पूरा मामला
सिविल लाइन-द्वितीय के निवासी सत्येंद्र सिंह ने एक नवंबर 2023 को कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई के दौरान प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उनकी ओर से चार फरवरी, 2023 को आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की गई थी। इसकी जांच तहसीलदार सदर ने की। उनकी रिपोर्ट में इसका उल्लेख था कि शिकायतकर्ता ने सिटी मजिस्ट्रेट के कोर्ट में 146 सीआरपीसी के आदेश के अनुपालन का प्रार्थना पत्र दिया है। रिपोर्ट में आगे यह बताया गया कि उस प्रकरण में विपक्षी ने डीएम कोर्ट में धारा 148 सीआरपीसी का आवेदन दिया है और यह आवेदन लंबित है। ऐसे में आवेदन लंबित रहने तक धारा 146 के तहत कार्रवाई उचित नहीं है।
शिकायतकर्ता का कहना था कि लेखपाल बृजेश सागर सिंह ने फर्जी तरीके से यह रिपोर्ट लगाई है। डीएम ने अपने कोर्ट से आख्या मांगी तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि इस तरह का कोई भी आवेदन या वाद उनके कोर्ट में लंबित नहीं है। उस धारा के अंतर्गत उनके कोर्ट को क्षेत्राधिकार भी नहीं है। इस तरह यह पाया गया कि लेखपाल ने एक पक्ष को लाभान्वित करने के लिए ऐसी रिपोर्ट लगा दी।
लेखपाल ने 15 मार्च, 2023 को यह फर्जी आख्या पोर्टल पर अपलोड कर दी थी। आइजीआरएस के प्रभारी व अपर जिलाधिकारी प्रशासन पुरुषोत्तम दास गुप्त की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने लेखपाल को निलंबित करने का निर्देश दिया है। जिलाधिकारी ने बताया कि लेखपाल की ओर से फर्जी रिपोर्ट लगाई गई है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर को लेखपाल को निलंबित करने का निर्देश दिया गया है।