वॉशिंगटन: अमेरिका में मंगलवार से डेमोक्रेसी समिट की शुरुआत हो रही है। इसमें भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों के शीर्ष नेताओं के हिस्सा लेने की उम्मीद है। इस सम्मेलन को पहली बार 2021 में आयोजित किया गया था। पहले सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दुनियाभर में लोकतंत्र में आ रही गिरावट को लेकर चिंता जताई थी। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस साल 121 नेताओं और नागरिक संगठनों को आमंत्रित किया गया है। यह 2021 की तुलना में आठ अधिक हैं। इस बार का डेमोक्रेसी समिट भी वर्चुअली ही आयोजित किया जा रहा है। जिसमें सभी देशों के नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिस्सा लेंगे।
अमेरिका ने सम्मेलन पर क्या कहा
अमेरिका के मानवाधिकार इनिशिएटिव के डायरेक्टर मार्टी फ्लैक्स ने कहा यह समिट लोकतंत्र के लिए पैदा हुए खतरे के बीच हो रहा है। रणनीतिक और अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्रों में इसे महत्वपूर्ण मुद्दे के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस सम्मेलन के दौरान नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को निगरानी तकनीक सहित लोकतंत्र की कई चुनौतियों पर चर्चा के लिए साथ आएंगे। उन्होंने बताया कि अमेरिका इन चुनौतियों को बड़े खतरे के तौर पर देखता है। ऐसे में सभी लोकतांत्रिक देशों का एक मंच पर आना आवश्यक है।
वोलोडिमिर जेलेंस्की देंगे उद्घाटन भाषण
मंगलवार को डेमोक्रेसी समिट का उद्घाटन यूक्रेन में शांति पर राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से उद्बोधन से शुरू होगा। पहले शिखर सम्मेलन में भी जेलेंस्की शामिल हुए थे, लेकिन तब उनका देश युद्ध का सामना नहीं कर रहा था। ऐसे में उनकी उपस्थिति रूस के साथ अच्छे संबंध रखने वाले कुछ देशों के लिए अच्छा अनुभव नहीं होने वाला है। अपने संबोधन के दौरान जेलेंस्की रूस पर निशाना साध सकते हैं।
अपने ही वादे से पीछे हट रहे बाइडेन
बाइडेन ने पहले शिखर सम्मेलन के दौरान दुनियाभर के गैर लोकतांत्रिक देशों से दूरी बनाने और निरंकुश नेताओं को अलग-थलग करने का वादा किया था। लेकिन, बाद में बाइडेन अपने वादे से मुकर गए और दुनिया के लगभग हर एक निरंकुश कहे जाने वाले नेता से मुलाकात की। बाइडेन पिछले साल सऊदी अरब में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मिले थे। उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी दो बार बैठकें की थी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भी जो बाइडेन शिखर सम्मेलन कर चुके हैं।