पटना। बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर एक बार फिर सियासी उठापटक तेज हो गई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को मुजफ्फरपुर में जनसभा के दौरान जब इस मुद्दे को हवा दी तो सियासी हलचल बढ़ गई है।
भाजपा नेता खुलकर इस मुद्दे पर सामने आ गए। इसी क्रम में भाजपा नेता सुशील मोदी ने सरकार पर हमला बोला है।
वहीं, राजद नेता और प्रदेश उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर सोमवार को प्रतिक्रिया देते हुए जमकर पलटवार किया है।
क्या यादव पिछड़ें नहीं हैं : तेजस्वी यादव
राजधानी पटना में राजद नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सोमवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए हमला बोला।
उन्होंने जाति आधारित सर्वे पर कहा कि वे कह रहे हैं कि पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या कम हो गई है और यादवों की संख्या बढ़ गयी है।
क्या यादव पिछड़े नहीं हैं? …वे किस आधार पर कह रहे हैं कि क्या बढ़ाया या घटाया गया है? हमारे पास वैज्ञानिक डेटा है। उनके पास इसका समर्थन करने का आधार होना चाहिए।
वे ऐसा किस आधार पर कह रहे हैं? अगर बढ़ाना होता तो नीतीश कुमार कुर्मी समाज से हैं, तो कुर्मी समाज का बढ़ा दिया गया होता।
वो किस आंकड़े के आधार पर बोल रहे हैं : डिप्टी सीएम
तेजस्वी यादव ने कहा कि 1931 में आंकड़ों में 11 फीसदी यादव थे। ये 11 फीसदी तब थे, जब ओडिशा और झारखंड साथ थे। जहां तक अल्पसंख्यकों की बात है, वो तो सबके सामने है।
ये सब बेबुनियाद आरोप लगाने से कोई मतलब नहीं है। तेजस्वी ने सवाल किया कि आंकड़ा बढ़ा दिया गया या घटा दिया गया यह बात वे (भाजपा/अमित शाह) किस आधार पर बोल रहे हैं?
हकबका गए हैं, बोलना क्या था और क्या बोल गए : तेजस्वी
हम लोगों के पास तो वैज्ञानिक आंकड़ा है। उनके पास कौन सा आंकड़ा है? उन्होंने कहा कि अगर बढ़ाना होता तो नीतीश जी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। कुर्मी समाज का आंकड़ा नहीं बढ़ा दिया होता?
उन्होंने कहा कि हकबका गए हैं लोग; हकबक में हैं। बोलना क्या था अमित शाह को और बोल क्या दिए। वो आ रहे हैं हमें ही फायदा पहुंचाने। धन्य हों अमित शाह जी बार-बार आते रहिए।
लालू के दबाव में अति पिछड़ों की संख्या कम बताई : सुशील मोदी
बिहार में जाति आधारित सर्वे पर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि जहां राजद के एक मंत्री हैं सरकार में, कांग्रेस के चार मंत्री हैं। उन लोगों ने तो पंचायत का चुनाव बिना ओबीसी को आरक्षण दिए करा दिया और ललन जी (ललन सिंह) हमसे सवाल पूछ रहे हैं। पहले जिस गठबंधन में आप हैं, उसके नेताओं से पूछिए कि आज तक उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों में जाति गणना क्यों नहीं कराई? जब चुनाव नजदीक आए और एलान हो गया तब राजस्थान को याद आया, तब कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कराएंगे।
उन्होंने कहा कि इनको कोई जाति गणना से मतलब नहीं है। बस देश को जाति के नाम पर बांटने का काम कर रहे हैं। अमित शाह ने कल ठीक ही कहा कि यादवों और मुस्लिमों की संख्या को बढ़ा दिया गया।
अमित शाह ने सही कहा : सांसद
उन्होंने कहा कि अमित शाह ने सही कहा है कि यादव और मुसलमानों की संख्या बढ़ी है। 1931 में जाति आधारित जनगणना हुई थी तो उस वक्त बिहार में यादवों की आबादी 12.7 फीसदी थी। अब उनकी आबादी बढ़कर 14.3 फीसदी हो गई है।
बिहार में 1931 में मुसलमानों की आबादी 14.6 फीसदी थी, जो बढ़कर 17.7 फीसदी हो गई है। इसलिए लालू यादव के दबाव में विशेष जातियों की संख्या बढ़ाई गई और अत्यंत पिछड़ों की संख्या उनकी ओर से पेश किए गए 36 फीसदी से कहीं अधिक है।
हम सर्वे के पक्ष में थे, ये हमारी सरकार का निर्णय था : मोदी
आज यहां बिंद, मल्लाह, नूनिया, बेलदार, वैश्य, चंद्रवंशी सारी जातियों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। सब कह रहे हैं कि हमारी संख्या को जानबूझकर कम करके बताया गया है।
हम इस सर्वेक्षण को कराने के पक्ष में थे। ये हमारी सरकार का ही निर्णय है, लेकिन आपने तो पिछड़ों की हकमारी कर दी है।
अतिपिछड़ों को धोखा देने का काम किया है। इसका जवाब ललन सिंह दें। आखिर इन वर्गों की संख्या कम कैसे हो गई या घट कैसे गई।