राजधानी भोपाल में डेंगू का प्रकोप लगातार जान ले रहा है। इसके बावजूद मलेरिया विभाग शहर में डेंगू के खतरे को मानने को तैयार नहीं है। हद की बात तो ये है कि अस्पतालों में डेंगू से मौतें होने के बाद भी मलेरिया विभाग एलाइजा टेस्ट का राग अलाप रहा है। बैरागढ़ में दो सगे भाइयों की मौत के बाद शुक्रवार देर रात राजधानी के एक निजी अस्पताल में 15 साल के बच्चे की डेंगू से डेथ हो गई।
कोलार में रहने वाले 15 साल के युवराज को बुखार आ रहा था। डॉक्टरों ने उसे डेंगू बताया। परिजन ने स्थानीय स्तर पर इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। चार दिन पहले बच्चा अचानक बेहोश हो गया। परिजन ने उसे निजी अस्पताल में एडमिट कराया। डॉक्टरों ने उसकी खराब हालत को देखकर वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया, लेकिन बच्चे के अंगों ने काम करना बंद कर दिया। शुक्रवार देर रात उसने दम तोड़ दिया। राजधानी में 10 दिन के भीतर डेंगू से यह तीसरी मौत हुई है। शहर में अब तक डेंगू से पांच मौतें हो चुकी हैं। हालांकि, मलेरिया विभाग एक भी मौत मानने को तैयार नहीं है।
बैरागढ़ में दो सगे भाइयों की डेंगू से हुई मौत
पिछले हफ्ते संत हिरदाराम नगर क्षेत्र के वन ट्री हिल्स निवासी राजपूत परिवार के दोनों बेटों की मौत डेंगू से हुई थी। परिवार के बड़े बेटे राजीव राजपूत (19) की तबीयत खराब होने पर उसे एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया। यहां उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो अपेक्स अस्पताल लेकर पहुंचे।
24 नवंबर को रैपिड कार्ड से टेस्ट किया गया। एनएस-1 पॉजिटिव आने पर डेंगू का इलाज शुरू किया गया। यहां भी बात नहीं बनी तो उसे बंसल अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई। मंगलवार को दूसरे बेटे तरुण राजपूत (16) की मौत हो गई। उसे भी डेंगू की पुष्टि होने पर एम्स में इलाज के लिए भर्ती किया गया था। इससे पहले संतनगर में ही 29 अक्टूबर को संजय गिरी गोस्वामी (35), 13 नवंबर को प्रदीप मोतियानी (26) की डेंगू के कारण मौत हुई थी।
विभाग असहाय …लेटर ने खोली पोल
मलेरिया विभाग यह दावा करता है कि डेंगू, मलेरिया का सीजन शुरू होने के पहले ही शहर के सरकारी, निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम्स के संचालकों, डॉक्टरों की कार्यशाला आयोजित की जाती है। इस वर्कशॉप में निजी, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को यह साफ बताया जाता है कि डेंगू की जांच के लिए रैपिड कार्ड से टेस्ट को भारत शासन से मान्यता नहीं है। डेंगू की जांच के लिए एलाइजा टेस्ट कराना जरूरी है। इसके बावजूद शहर के निजी अस्पताल मरीजों की रैपिड कार्ड से डेंगू की जांच करके इलाज कर रहे हैं। मलेरिया विभाग और स्वास्थ्य महकमा निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने में असहाय नजर आ रहा है।