नई दिल्ली: कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार ने मुस्लिम ओबीसी का चार प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया। सरकार ने इस कोटे को वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच बराबर दो-दो फीसदी बांट दिया। बोम्मई सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पहली नजर में कर्नाटक सरकार का फैसला त्रुटिपूर्ण दिखता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने जो रेकॉर्ड पेश किया गया है, उससे जाहिर होता है कि कर्नाटक सरकार का इस मामले में लिया गया फैसला गलत अवधारणा पर आधारित है।
कर्नाटक की मुस्लिम कम्युनिटी की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और गोपाल शंकर नारायणन पेश हुए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम ओबीसी का जो रिजर्वेशन खत्म किया है, उसका कोई ठोस आधार नहीं है। उन्होंने सरकार ने कोई स्टडी नहीं कराई और न ही कोई आनुभव आधारित आंकड़ा ही उपलब्ध है। कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुआ। उन्होंनेकहा कि उन्हें याचिका पर जवाब के लिए वक्त दिया जाए। मेहतना सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि इस दौरान 24 मार्च के आदेश के तहत कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
इस बीच वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने अपना जवाब दाखिल करने से पहले कोई अंतरिम आदेश पारित न करने की गुहार सुप्रीम कोर्ट से लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख तय कर दी है और इस दौरान सॉलिसिटर जनरल और रोहतगी से जवाब दाखिल करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पेश हुए थे। सिब्बल ने कहा था कि याचिका में जो खामी थी, उसे ठीक कर लिया गया है। यह याचिका मुस्लिमों को दिए जाने वाले चार फीसदी रिजर्वेशन खत्म करने के खिलाफ दाखिल की गई है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि हम याचिका को सुनवाई के लिए लिस्ट करेंगे। फिर मामला जस्टिस जोसेफ की बेंच के सामने लंच के बाद सुनवाई के लिए लिस्ट हुआ।
कर्नाटक सरकार ने मुस्लिमों को दिए जाने वाले चार फीसदी रिजर्वेशन को खत्म कर दिया है। राज्य सरकार ने ओबीसी के मुसलमानों के चार फीसदी रिजर्वेशन कोटा खत्म करते हुए सरकारी नौकरियों और एजुकेशनल संस्थान में रिजर्वेशन की दो नई श्रेणियां घोषित की हैं। ओबीसी मुस्लिमों के चार फीसदी कोटे को वोक्कलिगा और लिंगायत श्रेणी में बांट दिया गया है। रिजर्वेशन के लिए जो मुस्लिम पात्र हैं उन्हें आर्थिक आधार के तहत रखा गया है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
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