नई दिल्ली: लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा ताक पर रख दी गई। इंटेलिजेंस इनपुट्स थे कि सिख कट्टरपंथी वहां हमला कर सकते हैं। इसके बावजूद यूके सरकार ने वक्त रहते ऐक्शन नहीं लिया। पर्याप्त सुरक्षा दी होती तो रविवार को हाई कमिशन की खिड़कियां नहीं टूटतीं। फौरन ही विदेश मंत्रालय ने यूके के सामने डिप्लोमेटिक तरीके से आपत्ति जताई। अब भारत ने यूके को ‘प्यार से’ समझाने का फैसला किया है। जैसे को तैसा वाली स्ट्रैटजी पर चलते हुए सरकार ब्रिटिश इमारतों की सुरक्षा में कटौती करने जा रही है। केंद्र का मानना है कि यूके और यूरोपियन डिप्लोमेट्स को भारत में कोई खतरा नहीं है, फिर भी इतनी सिक्योरिटी मिलती है। वहीं, यूके और यूरोप में खतरे के बावजूद भारतीय डिप्लोमेट्स को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी जाती। हमारे सहयोगी इकॉनमिक टाइम्स के अनुसार, नई दिल्ली इस बात से बेहद खफा है कि खुफिया इनपुट्स के बावजूद यूके सरकार ने समय रहते कार्रवाई नहीं की।
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी कार्रवाई का इंतजार
नई दिल्ली की नाराजगी अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले से और बढ़ गई। अलगाववादी कट्टरपंथियों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया और तोड़फोड़ करने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ दिया और वाणिज्य दूतावास परिसर के अंदर अलगाववादी झंडे लगा दिए। अमेरिकी सरकार के सीनियर अधिकारियों ने घटना की निंदा की लेकिन लोकल लेवल पर ऐक्शन नहीं हुआ है। इसी तरह, भारत ऑस्ट्रेलिया से भी सिख कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है।
भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ करने और इमारत से तिरंगा हटाने के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। हिंसक प्रदर्शन में दो सुरक्षा गार्ड घायल हो गए। लंदन के मेयर सादिक खान ने एक ट्वीट में कहा, मैं भारतीय उच्चायोग में हुई अव्यवस्था और तोड़-फोड़ की निंदा करता हूं। इस तरह के व्यवहार के लिए हमारे शहर में कोई जगह नहीं है। भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने इस घटना को अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया।