Tuesday, May 13, 2025
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लवलेश पाण्डेय

लवलेश पाण्डेय

शंकरगढ़ में मानक के विपरीत चलाया जा रहा है हॉस्पिटल

बिना सर्जन और एनेस्थीसिया के मरीजों का झोलाछाप डॉक्टर द्वारा किया जा रहा है ऑपरेशन

शंकरगढ़ (प्रयागराज) शंकरगढ़ क्षेत्र में इन दिनों फर्जी अस्पतालों एवं फर्जी डॉक्टरों की भीड़ सी जमा हो गई है। और हर गली मोहल्ले में झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान खोल कर मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राम भवन चौराहे में भारत गैस एजेंसी के बगल में प्रज्ञा हॉस्पिटल मे मरीजों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बिना किसी डिग्री के ओपीडी सहित सारे इलाज धड़ल्ले से किए जा रहे हैं। बिना किसी डिग्री और प्रैक्टिस के बिना एनेस्थीसिया डॉक्टर के सारे ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है। अस्पताल में किसी भी चीज की समुचित व्यवस्था नहीं है और धर्मशाला की तरह कमरे काटकर मरीजों को मौत के मुंह में डाला जा रहा है।यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है पर स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे शंकरगढ़ क्षेत्र में इस तरह के फर्जी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। फर्जी अल्ट्रासाउंड सेंटर ऑपरेशन, पैथोलॉजी और प्रसव भी अवैध रूप से अस्पताल के अंदर किया जाता है। जबकि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के लिए डॉक्टर के पास एक डिग्री होना आवश्यक होता है। लेकिन बिना किसी रजिस्ट्रेशन के अल्ट्रासाउंड सेंटर भी चलाया जा रहा है साथ ही गलत जानकारी दे करके मरीजों के साथ छलावा भी किया जा रहा है। किसी का घर किराए पर लेकर के अस्पताल के नाम पर गोरखधंधा चलाने के लिए जिसका ना तो कहीं पर निबंधन है और ना ही प्रज्ञा नर्सिंग होम के डॉक्टर द्वारा किसी प्रकार की एमबीबीएस डिग्री लिया गया है उसके बावजूद सारे बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर अपने आप को परिपूर्ण बताने का प्रयास कर रहे हैं।प्रज्ञा नर्सिंग होम के अंदर कई अवैध कार्यों को भी अंजाम दिया जाता है और बिना किसी सुविधा के और अस्पताल का मानक के विपरीत चलाने की प्रक्रिया भी मरीजों के लिए खतरे से खाली नहीं है क्योंकि ना तो अस्पताल के पास बेहतर पार्किंग की व्यवस्था है और ना ही समुचित भवन की जिसके अंदर अस्पताल समुचित रूप से चलाया जा सके इलाज के नाम पर मरीजों के साथ धोखा किया जा रहा है और झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से उनके ऊपर कब विपत्ति आ जाए इसका कोई ठिकाना नहीं है।स्वास्थ्य विभाग को भी भ्रमित करके नर्सिंग होम का संचालन फर्जी डॉक्टर की देखरेख में किया जा रहा है और उनकी मेडिकल शिक्षा की योग्यता के बिना ही इलाज करने की परंपरा आने वाले दिनों में कई मरीजों की मौत का कारण बन सकती है। क्योंकि बिना सर्जन और एनेस्थीसिया की अनुपस्थिति में झोलाछाप डॉक्टर की देखरेख में किया जाने वाला ऑपरेशन मरीज की मौत का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य विभाग से प्रज्ञा हॉस्पिटल में अल्ट्रासाउंड करने की कोई अनुमति नहीं है। और ना ही रिपोर्ट देखने की उसके बावजूद सारे कार्य वहां उपस्थित डॉक्टर की देखरेख में गोरखधंधे के रूप में फल फूल रहे हैं।

चित्रकूट शिवरामपुर टी वी की एक्सपायरी दवा खाने से युवक की हालत हुई खराब


_एक बार फिर से शिवरामपुर अस्पताल की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है। जहाँ इलाज कराने आये मरीज को दवा के नाम पर एक्सपायरी दवा थमा दी गयी।_
_जहा सरकार द्वारा निशुल्क दी जा रही है वही मरीज से 4000 ले लिए गये राजेश मिश्रा एक अस्पताल कर्मचारी एल,टी है जो गांव के एक टीबी की गंभीर समस्या से पीड़ित मरीज को इलाज के नाम पर शिवरामपुर अस्पताल में एक्सपायरी दवा दे दी गयी। जब दवा खाने के बाद मरीज को खून की उल्टी होने के साथ ही उसकी स्थिति गंभीर हो गयी तो उसने दवा खाना छोड़ दिया। क्या इसी तरह ऐसे लोग गरीबों को लुटते रहेंगे जहा सरकार ऐसी गम्भीर बिमारी के लिए सरकार काम कर रही है_

मीडिया की दुविधा: लाभ और सार्वजनिक हित में टकराव!

मीडिया जनमत को आकार देने, सूचना प्रसारित करने और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, उद्योग की लाभ-संचालित प्रकृति को देखते हुए, ईमानदारी, सार्वजनिक कल्याण और निष्पक्षता को प्राथमिकता देने की मीडिया की क्षमता के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं। इस लेख का उद्देश्य मीडिया कंपनियों की वित्तीय लाभ की खोज की जटिलताओं और पत्रकारिता की अखंडता और सार्वजनिक हित पर इसके प्रभाव का पता लगाना है।

लाभ का उद्देश्य और मीडिया संगठन:
यह निर्विवाद है कि मीडिया संगठन, कम से कम आंशिक रूप से, राजस्व उत्पन्न करने के लिए मौजूद हैं। विज्ञापन इन संगठनों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो अक्सर उनके प्रोग्रामिंग निर्णयों और सामग्री विकल्पों को प्रभावित करता है। जब निष्पक्ष और सार्वजनिक हित वाली पत्रकारिता की बात आती है तो लाभ का यह उद्देश्य संभावित हितों का टकराव पैदा कर सकता है।

नौकरी की सुरक्षा और पेशेवर प्रतिष्ठा:
मीडिया संगठनों के कर्मचारियों के रूप में पत्रकारों को अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करते हुए सत्यनिष्ठा बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपने नियोक्ताओं की नीतियों और उद्देश्यों के विरुद्ध जाने से उनकी नौकरी की सुरक्षा और पेशेवर प्रतिष्ठा खतरे में पड़ सकती है। यह गतिशीलता इस बात पर सवाल उठाती है कि पत्रकार किस हद तक सार्वजनिक हित में स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट कर सकते हैं, खासकर जब यह उनके संगठन के वित्तीय लक्ष्यों के साथ संघर्ष करता है।

विज्ञापन का प्रभाव:
विज्ञापन राजस्व पर निर्भरता मीडिया सामग्री और प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकती है। विज्ञापनदाता बड़े दर्शकों वाले मीडिया प्लेटफ़ॉर्म की तलाश करते हैं, जिससे सनसनीखेज, मनोरंजन-केंद्रित प्रोग्रामिंग और इन्फोटेनमेंट की ओर संभावित बदलाव हो सके। विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने का दबाव महत्वपूर्ण मुद्दों और खोजी पत्रकारिता से ध्यान भटका सकता है जो बड़े पैमाने पर दर्शकों को पसंद नहीं आएगा।

मीडिया विनियमों और नैतिक मानकों की आवश्यकता:
हितों के अंतर्निहित टकराव को देखते हुए, सार्वजनिक हितों की रक्षा करने वाले मीडिया नियमों और नैतिक मानकों को स्थापित करना और लागू करना महत्वपूर्ण है। स्पष्ट दिशानिर्देश समाचार रिपोर्टिंग पर लाभ चाहने वाले उद्देश्यों के प्रभाव को कम करने, मीडिया संगठनों में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।

विविधीकरण राजस्व मॉडल:
मीडिया संगठन अकेले विज्ञापन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक राजस्व मॉडल तलाश रहे हैं। सदस्यता और अन्य प्रत्यक्ष पाठक-वित्त पोषित मॉडल लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं, जिससे मीडिया आउटलेट विज्ञापनदाताओं के हितों की तुलना में गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता को प्राथमिकता देने में सक्षम हो रहे हैं। ऐसे मॉडल मीडिया संगठनों और उनके दर्शकों के बीच एक मजबूत रिश्ते को बढ़ावा दे सकते हैं, संभावित रूप से विश्वास बढ़ा सकते हैं और सार्वजनिक हित को प्राथमिकता के रूप में बनाए रख सकते हैं।

कुल मिलाकर यह कह सकते है कि मीडिया संगठनों द्वारा सामना की जाने वाली वित्तीय वास्तविकताओं को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है, लेकिन लाभ और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। लाभ-संचालित मीडिया उद्योग में निहित हितों के टकराव को संबोधित करने के प्रयास किए जाने चाहिए, पत्रकारों को ईमानदारी, निष्पक्षता और सार्वजनिक कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए। पारदर्शी नियमों की वकालत करके और विविध राजस्व मॉडल की खोज करके, समाज एक ऐसे मीडिया परिदृश्य की दिशा में काम कर सकता है जो व्यावसायिक हितों और व्यापक सार्वजनिक हित दोनों की सेवा करता है।

चित्रकूट नगर परिषद को करोड़ों का फंड फिर भी विकास में सबसे पीछे
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चित्रकूट विधान सभा का एक भाजपा नेता जा सकता है आम आदमी पार्टी के गोद में तो वहीं एक के हांथी में सवार होने की चल रही गठजोड़ कवायदे

चित्रकूट विधान सभा की समय के गर्त की अनुमानित बाते


जैसे ही भाजपा ने आचार संहिता के पहले ही एक बार पुनः अपना भरोसा सुरेंद्र सिंह गहरवार पर जताया है तो पार्टी के अंदर के अंदर उनके विरोधी तमाम पुरजोर कोशिश करने लगे और हो भी क्यों न? क्युकी कई भाजपा के नेता तो दल बदल कर भाजपा में आएं है वह भी विधायकी टिकट के लिए क्युकी भाजपा का कोई *ठाहर* नेता नही नजर आ रहा था इसलिए सब इस ओर आए लेकिन कांग्रेस के गढ़ पर सेंध मारने वाले सुरेंद्र सिंह गहरवार पर भाजपा ने एक बार फिर दांव लगाया है। टिकट की दौड़ में अभी 4 और नेता अपने आप को मान रहे थे जिसमे पहला शंकर दयाल, दूसरा चंद्रकमल त्रिपाठी और तीसरा सुभाष शर्मा डोली सबसे अहम गाहे बगाहे चौथे नंबर पर निरंजन जैसवाल जो किसी तरह अपने भाभी को जनपद अध्यक्ष बनने में सफल रहा। लेकिन इन चारो को भाजपा ने नजर अंदाज कर सुरेंद्र सिंह गहरवार पर दांव खेला है । जिससे अब यह चारो नेता अंदर ही अंदर कुटीनिति की राजनीति करने की पुरजोर कोशिश कर रहें है। जिसमे दो नेताओ के सलाहकारों से मिली सूचना के मुताबिक एक झाड़ू लगाने की तो दूसरा हांथी सवार होने की कोशिश में लग गए है। हालांकि निलांशु चतुर्वेदी भी भी कही न कहीं सोच में जरूर होंगे की फिर से एक बार कहीं गद्दी छीन न जाए, लेकिन भाजपा के विभीषणों के चलते नही लग रहा की भाजपा अपनी जमानत बचा पाएगी!

ग्रामोदय विश्वविद्यालय में क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ

चित्रकूट, 18 अगस्त 2023। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा इंस्ट्रीट्यूट आॅफ रूरल मैनेजमेंट आनंद के सहयोग से जन शिक्षण संस्थान के निदेशक एवं कार्यक्रम

ग्रामोदय विश्वविद्यालय में क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभचित्रकूट, 18 अगस्त 2023। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा इंस्ट्रीट्यूट आॅफ रूरल...

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