इस्लामाबाद: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच डील नाकाम रही है। पाकिस्तान और IMF का मिशन एक स्टाफ लेवल के समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहा है। हालांकि दोनों पक्षों ने बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है। IMF का मिशन 31 जनवरी से राजकोषीय नीति पर मतभेदों को दूर करने के लिए पहुंचा था। मूल रुप से 2019 में इमरान खान की सरकार ने 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें से लगभग 1 बिलियन डॉलर से अधिक की राशि को IMF ने रोक दिया था।
बुरे दिन आने वाले हैं!
सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट (SDPI) के उप कार्यकारी निदेशक वकार अहमद का कहना है कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान को कुछ शर्तों पर समहत होना होगा। उन्होंने कहा, ‘IMF पाकिस्तान के क्रमिक दृष्टिकोण को रिजेक्ट कर चुका है। आईएमएफ ने साफ कहा है कि इस सब का समय निकल चुका है।’ उन्होंने कहा कि शर्तों को अगर लागू किया जाएगा तो इसमें ऊर्जा क्षेत्र, बिजली और गैस टैरिफ बढ़ेगा। एक्सपर्ट्स ने कहा कि IMF चाहता है कि इन शर्तों को पूरा किया जाए। इस बीच वित्त मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. खाकान नजीब ने IMF से डील न होने पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि लगातार घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण पाकिस्तान के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। इस प्रक्रिया में पहले ही देर हो चुकी है।