पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध की पुष्टि के लिए गठित ट्रिब्यूनल गुरुवार से दिल्ली में सुनवाई शुरू करेगा। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा मामले की सुनवाई करेंगे। मध्य प्रदेश सरकार भी पीएफआई और उससे जुड़े प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ सबूत पेश करेगी। इंदौर पुलिस की तरफ से एसीपी क्राइम राजेश हिंगणकर का एफिडेविट प्रस्तुत किया गया है। बताया जा रहा है कि पीएफआई की तरफ से उनकी केरल इकाई अपना पक्ष रखेगी।
दरअसल, देश विरोधी गतिविधियों के चलते केंद्र सरकार ने 28 सितंबर को अधिसूचना जारी कर पीएफआई और उसके 8 सहयोगी संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था। ट्रिब्यूनल ने 22 नवंबर को जाहिर सूचना प्रकाशित कर सरकार सहित पीएफआई को अपना पक्ष रखने को कहा था। गौरतलब है सितंबर में एनआईए ने कार्रवाई कर देशभर से 170 सदस्यों को गिरफ्तार किया था।
प्रदेश में भी एटीएस के साथ संयुक्त कार्रवाई में इंदौर, भोपाल, उज्जैन सहित 8 जिलों में संगठन से जुड़े 21 सदस्य गिरफ्तार किए गए थे। इंदौर, भोपाल और उज्जैन में पीएफआई और उससे जुड़े चार प्रतिबंधित संगठन मुख्य रूप से सक्रिय पाए गए हैं। चार सहयोगी संगठनों की सक्रियता के फिलहाल कोई सबूत नहीं हैं।
आठ सहयोगी संगठनों की पहचान हो चुकी
पीएफआई
के 8 और सहयोगी संगठनों की पहचान भी हुई है। इसमें मुख्य रूप से रिहेब
इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल और नेशनल
कन्फेडरेशन आॅफ ह्यूमन राइट ऑर्गनाइजेशन शामिल हैं।
सिमी पर प्रतिबंध लगा तो पीएफआई से जुड़ गए
सिमी के बड़े नेटवर्क को तोड़ चुके इंदौर पुलिस के मौजूदा एसीपी क्राइम राजेश हिंगणकर कहते हैं कि इंदौर, बुरहानपुर, खंडवा और उज्जैन के कुछ क्षेत्रों में पीएफआई लगातार सक्रिय है। सिमी पर प्रतिबंध के बाद उससे जुड़े कई लोग पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़ गए। सामान्य तौर पर इसके सदस्य कभी मोबाइल का उपयोग नहीं करते।
यह ज्यादातर जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों में या व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे से संपर्क करते हैं। इन्हें विदेशों से भी काफी फंडिंग मिलती है। बताया जा रहा है कि पीएफआई का सहयोगी संगठन रिहेब इंडिया पीएफआई के सदस्यों के जरिये धन जुटाता है, जबकि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहेब फाउंडेशन और केरल के पीएफआई सदस्य नेशनल वीमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट और ऑल इंडिया इमाम काउंसिल की गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करते हैं। रिहेब इंडिया फाउंडेशन ने तो बकायदा फेसबुक पेज बना रखा था और प्रतिबंधित सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया एक माेबाइल नंबर का उपयोग पीएफआई की मेंबरशिप लेने के लिए करता रहा है।
सिमी पर प्रतिबंध लगा तो पीएफआई से जुड़ गए
सिमी
के बड़े नेटवर्क को तोड़ चुके इंदौर पुलिस के मौजूदा एसीपी क्राइम राजेश
हिंगणकर कहते हैं कि इंदौर, बुरहानपुर, खंडवा और उज्जैन के कुछ क्षेत्रों
में पीएफआई लगातार सक्रिय है। सिमी पर प्रतिबंध के बाद उससे जुड़े कई लोग
पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़ गए। सामान्य तौर पर इसके सदस्य कभी मोबाइल का
उपयोग नहीं करते।
यह ज्यादातर जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों में या व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे से संपर्क करते हैं। इन्हें विदेशों से भी काफी फंडिंग मिलती है। बताया जा रहा है कि पीएफआई का सहयोगी संगठन रिहेब इंडिया पीएफआई के सदस्यों के जरिये धन जुटाता है, जबकि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहेब फाउंडेशन और केरल के पीएफआई सदस्य नेशनल वीमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट और ऑल इंडिया इमाम काउंसिल की गतिविधियों की निगरानी और समन्वय करते हैं। रिहेब इंडिया फाउंडेशन ने तो बकायदा फेसबुक पेज बना रखा था और प्रतिबंधित सहयोगी संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया एक माेबाइल नंबर का उपयोग पीएफआई की मेंबरशिप लेने के लिए करता रहा है।
ट्रिब्यूनल की पुष्टि के बाद ही लगेगी पीएफआई पर प्रतिबंध की मुहर
गैरकानूनी
गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-3 के तहत सरकार किसी संगठन को
आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर सकती है। प्रतिबंध के 30 दिनों के
भीतर एक हाई कोर्ट जस्टिस की अध्यक्षता में न्यायाधिकरण का गठन किया जाता
है। यह ट्रिब्यूनल, सरकार व प्रतिबंधित संगठन का पक्ष सुनकर तय करता है कि
पाबंदी के लिए पर्याप्त आधार है या नहीं?