इस्लामाबाद: पाकिस्तान दिन पर दिन उस स्थिति में पहुंच रहा है, जहां से लौटना उसके लिए नामुमकिन सा लग रहा है। देश की अर्थव्यवस्था डूब चुकी है और यह कंगाल होने की कगार पर है। कई लोगों को इस बात का डर भी है कि कहीं हालत श्रीलंका की तरह न हो जाएं। इन सबके बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ देश को एक ऐसे कर्ज जाल में फंसाते जा रहे हैं, जिससे निकलना उसके लिए असंभव सा हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से अभी तक कर्ज नहीं मिला है। इन सबके बीच सऊदी अरब और चीन, पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए राजी हो गए हैं। पाकिस्तान की जीडीपी पर अभी 80 फीसदी कर्ज है जिसमें से 40 फीसदी विदेशी कर्ज है। अब यही आंकड़ा देश की स्थिति को बताने के लिए काफी है।
देश की आर्थिक स्थिति पर नजर रख रहे विशेषज्ञों की मानें तो अगर पाकिस्तान आईएमएफ से मिल रहे कर्ज पर निर्भर रहता तो शायद दर्द कम होता। लेकिन दूसरे देशों से मिल रहा लोन उसकी तकलीफों को दोगुना करने वाला है। कई महीनों तक ईधन की कमी, खाद्य पदार्थों का अकाल और दूसरी जरूरी चीजों की कमी के अलावा सिकुड़ती जीडीपी के साथ ही लगातार गिरता जीवन स्तर कई मुश्किलों का एक ढेर है। अर्थव्यवस्था ऐसी जगह पर है जहां से उसे सुधरने में कई सालों का समय लग जाएगा। यह एक डरावना अनुभव है और बुरा सपना है जिसके बारे में कोई बात भी नहीं करना चाहता है। पाकिस्तान ने साल 1990 के दशक के अंत में कर्ज का पुर्नगठन किया था।
साल 2008 से पहले जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही थी तो उसने पाकिस्तान की सरकार को भी मदद की। देश की आर्थिक स्थिति ऐसी हो गई जिसके बाद दो से तीन साल देश के लिए आसान हो गए। इसके बाद जैसे ही डॉलर को घरेलू खपत के लिए प्रयोग किया जाने लगा। इस समय देश का निर्यात और उत्पादकता कम होती गई। साल 1990 में पाकिस्तान की जो अर्थव्यवस्था सुधरी थी, उसे सुधारने में 25 साल लग गए थे। मगर इस बार हालात काफी खराब हैं।
विशेषज्ञों की मानें तो दुनिया मंदी की आहट के बीच अगे बढ़ रही है। ऐसे में पीएम शहबाज जिस तरह से चीन और सऊदी अरब जैसे देशों से कर्ज मांग रहे हैं, वह देश के लिए एक बड़ा खतरा है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि पाकिस्तान के लिए यह सुनिश्चित करना भी मुश्किल हो गया है कि वह कैसे साख बचाकर रखेगा। अफगानिस्तान के नाम पर मिली सारी मदद भी अब खत्म हो चुकी है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय भीख पर चल रही है। पिछले ही हफ्ते पाकिस्तान ने सऊदी अरब और यूएई से चार अरब डॉलर की मदद हासिल की है। इस मदद की वजह से देश पर कंगाल होने का खतरा टल गया है।
सवाल यही है कि अतिरिक्त कर्ज देश की मदद कैसे करेंगे। पीएम शहबाज की नीतियों की वजह से देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। शहबाज का कहना है कि बाढ़ की वजह से देश के हालात खराब हो गए। जबकि बुक्रिंग्स स्टडी की मानें तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विनाशकारी बाढ़ के पहले से ही चौपट थी। देश में उत्पादकता बिल्कुल शून्य थी और इस वजह से ही हर बार विदेशों से मिलने वाला कर्ज राहत की तरह नजर आया। हर साल संकट भयानक होता गया और कर्ज का बिल भी बड़ा होता गया। देश के सामने अभी संकट बहुत बड़ा है।