नई दिल्ली : कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा हरियाणा के बाद मंगलवार को पंजाब में प्रवेश करने वाली है। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा यहां 10 दिन तक चलेगी। ऐसे में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का ध्यान पंजाब में पार्टी को मजबूत करने पर भी होगा। पिछले साल विधानसभा चुनाव में हार के बाद सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस के पास राज्य में चुनौतियों का पहाड़ है। राज्य में कई दिग्गज नेता पार्टी का हाथ छोड़ चुके हैं। वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्र में रहे नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भी सक्रिय नहीं है। सिद्धू रोडरोज मामले में जेल की सजा काट रहे हैं। वहीं, चन्नी हार के बाद ही अमेरिका रवाना हो गए थे।
राज्य में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है। ऐसे में राहुल गांधी के सामने पहली चुनौती कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की होगी। इसके अलावा उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के विजन को लोगों को सामने मजबूती से रखने के लिए प्रेरित करना होगा। माना जा रहा है कि राहुल की यात्रा के दौरान पार्टी छोड़ के जा चुके कुछ नेता फिर से कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। राहुल को यहां आम आदमी पार्टी को मात देने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि, यहां पड़ोसी राज्य हिमाचल में हाल ही में मिली जीत कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए पॉजिटिव संकेत हो सकता है। इसके अलावा राहुल को यहां पार्टी के नेतृत्व को लेकर जो भी असंतोष हो उसे भी दूर करना होगा। पार्टी ने हिमाचल में नेतृत्व के संकट के मामले को हल किया है।
राहुल गांधी जब पंजाब में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे होंगे तब उनकी नजर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी होंगे। पिछले साल विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने की रणनीति बनाने में जुटी है। ऐसे में उसकी नजर राज्य की 13 लोकसभा सीटों पर होगी। साल 2019 में पार्टी ने 13 में 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, अब आम आदमी पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद कांग्रेस के लिए राह बिल्कुल आसान नहीं होने जा रही है।
पंजाब में कांग्रेस से कई दिग्गज नेता अपना दामन छुड़ा चुके हैं। कांग्रेस छोड़ने वालों में पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार, बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर श्याम अरोड़ा, राज कुमार वेरका, राणा गुरमित सिंह सोढ़ी जैसे कई नेता शामिल हैं। विधानसभा चुनावों में मिली हार और सिद्धू के साथ चन्नी के पिक्चर से गायब होने के बाद पार्टी ने प्रदेश की कमान राजा अमरिंदर सिंह वारिंगग को सौंपी थी। वहीं, प्रताप सिंह बाजवा को विधायक दल का नेता है। खास बात है कि दोनों नेता एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। हालांकि, मौजूदा परिस्थितियों में वडिंग अपने को पार्टी का सर्वमान्य नेता साबित करने की जद्दोजहद में ही जुटे हैं।