चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 के दौरान केंद्र में सत्ता में काबिज भाजपा सरकार को 614.53 करोड़ रुपए चंदे मिले, जो कांग्रेस पार्टी को मिले चंदे से 6 गुना ज्यादा है। वहीं, कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 95.46 करोड़ रुपए चंदा मिला। हाल ही में कुछ पार्टियों ने चुनाव आयोग को चंदे की लेटेस्ट कंट्रीब्यूशन रिपोर्ट पेश की थी, जिसे मंगलवार को पेश किया गया।
BJP- कांग्रेस के चंदे में 28-28 फीसदी की वृद्धि
पिछले
आंकड़ों की बात करें तो भाजपा को साल 2020-21 में 477 करोड़ रुपए का चंदा
मिला था, जबकि कांग्रेस को 74.7 करोड़ रुपए मिले थे। यानी इस साल दोनों
पार्टियों के चंदे में 28-28 फीसदी की वृद्धि हुई है।
वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 2021-22 के दौरान चंदे के रूप में 43 लाख रुपए मिले, जबकि दिल्ली में AAP सरकार को 2021-22 के दौरान 44.54 करोड़ रुपए चंदे के तौर पर दिए गए।
CPI-M को नुकसान, NCP को फायदा
2020-21
के दौरान CPI-M को 12.8 करोड़ रुपए मिले थे। जबकि इस साल सिर्फ 10.05
करोड़ रुपए चंदा मिला। इस तरह पार्टी को 21.7 फीसदी का नुकसान हुआ है।
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सबसे ज्यादा चंदा हासिल करने के
मामले में तीसरे नंबर की पार्टी है और उसे 57.9 करोड़ रुपए मिले। जबकि NCP
को पिछले साल 26.2 करोड़ ही मिले थे। पिछले साल की तुलना में NCP को 120
फीसदी की वृद्धि हुई।
20 हजार से ऊपर के चंदों का हिसाब रखता है EC
चुनाव
आयोग के मौजूदा नियमों के मुताबिक देश के सभी राजनीतिक पार्टियों को 20
हजार रुपए से ज्यादा वाले सभी चंदों का हिसाब देना होता है। साथ ही
राजनीतिक दलों को आयोग के समक्ष इस बारे में रिपोर्ट देनी होती है।
व्यक्तियों और संस्थाओं के अलावा, चुनावी ट्रस्ट भी पार्टियों को फंड दिया
करते हैं। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट सहित इलेक्टोरल ट्रस्टों का भाजपा की
किटी में मेन योगदान रहा है।
2018 में चुनावी बॉन्ड या इलेक्टोरल बॉन्ड (EB) योजना की शुरुआत के बाद से अब तक सबसे ज्यादा बॉन्ड मुंबई में बिके हैं। इसके अलावा कैशिंग में दिल्ली पहले नंबर पर है। RTI में यह बड़ा खुलासा हुआ है। कमोडोर लोकेश बत्रा (रिटायर्ड) की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर RTI दायर की गई थी। इसके जवाब में SBI ने 23 नवंबर, 2022 को ये आंकड़े जारी किए हैं।