सिंगरौली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मी लगातार तेज होती दिख रही है वहीं सिंगरौली जिले में विधानसभा 80 को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है अगर इन पार्टियों के मुद्दे एवं चर्चाओं की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी मजबूती के साथ मैदान में डटी हुई है। कहा जा रहा है कि बहुजन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चंद्र प्रताप विश्वकर्मा सिंगरौली जिले के स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं। चंद्र प्रताप विश्वकर्मा महापौर का चुनाव हारने के बाद से लगातार जनता के बीच में और जनता का सहयोग मदद करते हुए उनके हक अधिकार को लेकर काम करते रहे जिसका उन्हें फायदा मिल रहा है। पार्टियां सिर्फ अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के सहारे चुनाव लड़ने को तैयार हैं। कोई भी प्रत्याशी अपने व्यक्तिगत कार्य पर वोट नहीं मांग रहा है ऐसे में चुनाव जीतने के बाद वह जनता के लिए क्या करेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता। भाजपा प्रत्याशी रामनिवास शाह मोदी एवं शिवराज सिंह के नाम पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में है भले ही उनके साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता पदाधिकारी ना हो लेकिन भाजपा की गुण गाने में कहीं कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यानी लोगों का कहना है कि भाजपा मोदी के नाम पर चुनाव जीतना चाहती है, सिंगरौली जिले के विकास को लेकर उनके पास कोई विजन नहीं दिखता। वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रेनू शाह भी कांग्रेस के गारंटी वचन पत्र पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में है भले ही कांग्रेस में कोई बागी तेवर ना दिखाई देता हो लेकिन भीतर घात करने में कहीं कोई पीछे नहीं हटेगा। क्योंकि टिकट मांगने वाले नेता अभी भी रेनू शाह के साथ सक्रिय नजर नही आ रहे हैं सिंगरौली जिले में एससी एसटी ओबीसी की लड़ाई लड़ने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम शिरोमणि शाहवाल को चुनाव से बाहर कर दिया गया है। वही ज्ञानेंद्र सिंह भी चुनाव में सक्रिय नहीं नजर आ रहे हैं जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही है। राम शिरोमणि शाहवाल को चुनाव मैदान से बाहर करने की वजह से उनके समर्थकों में भी काफी नाराजगी का असर देखने को मिल रहा है। ठीक उसी प्रकार आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल भी मैदान में है जो वर्तमान में नगर निगम की महापौर भी है महापौर के चुनाव में उन्होंने सिंगरौली के विकास को लेकर कई बड़े वादे किए लेकिन उन वादों को पूरा करने में सफल नहीं रही जिसको लेकर जनता भी यह समझ चुकी है कि बिना सरकार का कोई विकास नहीं हो सकता है लेकिन रानी अग्रवाल दिल्ली मॉडल के तर्ज पर चुनाव प्रचार तो कर रही हैं लेकिन जनता अब दिल्ली मॉडल के नाम को स्वीकार करने से कहीं दूर भागती दिख रही है। तो क्या इस बार चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी स्थानीय मुद्दों को लेकर जो कार्य कर रही है उसे मौका मिल सकता है जिसको लेकर तरह-तरह की शहर में चर्चाएं हो रही है।
राजनीति जानकारों की माने तो कांग्रेस और भाजपा ने साहू वर्ग से दो प्रत्याशीयों को मैदान में उतारा है जिसको लेकर खींचातानी का माहौल है वही आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल पर परिवारवाद एवं ब्राह्मणों को धोखा देने का भी आरोप लग चुका है। सामान्य वर्ग को छोड़ कर भाजपा और कांग्रेस के द्वारा लगातार लंबे समय से ओबीसी वर्ग से टिकट देने की वजह से ब्राह्मण ठाकुर बनिया नाराज दिख रहे हैं । वर्तमान विधायक राम लल्लू वैश्य का भी टिकट कटने से वैश्य समाज भी नाराज दिख रहा है। जिस कारण वह राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन सभी नाराजगी का लाभ बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को लाभ मिल सकता है। चंद्र प्रताप विश्वकर्मा को भाजपा के कई गद्दार नेता मिलकर मेयर के चुनाव में हारने का काम किया था लेकिन इस बार चंद्र प्रताप विश्वकर्मा के साथ लोगों की संवेदनाएं सहित भाजपा एवं कांग्रेस के बागी भी अंदरुनी समर्थन दे रहे हैं एवं स्थानीय मुद्दों पर चर्चा एवं काम करने को लेकर किए गए वादों को लेकर पब्लिक भी आकर्षित होती दिख रही है। ऐसे में विधानसभा ८० सिंगरौली में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो अभी नहीं कहा जा सकता परन्तु जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी को हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है उसे देखकर कहा जा सकता है कि चुनाव परिणाम चौकाने वाले हो सकते हैं।