बरेली जिले के बहेड़ी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दुर्लभ अनुवांशिक विकार (हार्लेक्विन इक्थियोसिस) से पीड़ित बच्चे का जन्म हुआ है. बच्चा तीन दिन बाद भी जिंदा है. डॉक्टरों ने बच्चे की बीमारी की वजह पता करने के लिए स्किन बायोप्सी और केरिया टाइमिन जांच के लिए सैंपल लिया है. बताया जा रहा है बच्चा अजीब तरह की आवाजें निकाल रहा है. बच्चे को देखने के लिए घर पर लोगों की भीड़ जुट रही है. बच्चे को देखने के बाद लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं.
दरअसल, बरेली के थाना बहेड़ी क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली महिला को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे पास के सामुदायिक केंद्र लेकर पहुंचे. बुधवार देर रात महिला ने नार्मल डिलीवरी से एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे का शरीर पूरी तरह से सफेद है. त्वचा जगह-जगह से फटी हुई है. साथ ही बच्चे की आंखे भी बड़ी-बड़ी हैं. डॉक्टर का कहना है कि ऐसे जन्मे बच्चों को हार्लेक्विन इक्थियोसिस बेबी कहा जाता है.
डॉक्टरों के समझाने के बाद परिजन बच्चे को ले गए घर
बता दें कि जन्म लेने के बाद से बच्चा अजीब तरह की आवाजें निकाल रहा है. दुर्लभ विकार के साथ पैदा हुए बच्चे को देखकर परिजन बच्चे की आवाज सुनकर बहुत डर रहे हैं. डॉक्टरों ने कहा कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है. साथ ही उन्होंने दुर्लभ बीमारी से ग्रसित होने की बात कही है. डॉक्टर द्वारा परिजनों को समझाने के बाद वह जच्चा-बच्चा को घर लेकर गए. परिजन जैसे ही बच्चे को घर लेकर पहुंचे तो देखने वालों की भीड़ लग गई.
प्रीमेच्योर होते हैं ऐसे बच्चे
वहीं, बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अतुल अग्रवाल ने बताया कि हार्लेक्विन बेबी की मौत कई मामलों में जन्म के दौरान या कुछ घंटे बाद हो जाती है. क्योंकि यह बच्चे प्रीमेच्योर होते हैं. कुछ मामलों में जब प्रसवकाल पूरा होने के दौरान जन्म होता है, तो पांच से सात दिन तक भी जीवित रह जाते हैं.