नई दिल्ली: रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर रहे विरल आचार्य (Viral Acharya) ने देश को महंगाई से निजात दिलाने के लिए एक अनोखा फॉर्म्युला दिया है। उन्होंने देश के पांच बड़े औद्योगिक घरानों को तोड़ने की बात कही है। उनका कहना है कि रिलायंस ग्रुप (Reliance Group), टाटा ग्रुप (Tata Group), आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group), अडानी ग्रुप (Adani Group) और भारती टेलीकॉम (Bharti Airtel) जैसी बिग-5 कंपनियां छोटी-छोटी कंपनियों की कीमत पर आगे बढ़ रहे हैं। इस कंपनियों के पास चीजों की कीमत तय करने की बहुत ज्यादा पावर है और इस वजह से देश में महंगाई नीचे नहीं आ रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 से 2019 तक आरबीआई के डिप्टी गवर्नर रहे विरल आचार्य ने एक पेपर में यह बात कही है जिसे इसे ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में पेश किया जाना है।
मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की अगुवाई वाली रिलांयस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) मार्केट कैप के हिसाब से देश की सबसे बड़ी कंपनी है। वहीं टाटा ग्रुप देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना है। गौतम अडानी (Gautam Adani) के अडानी ग्रुप के मार्केट कैप में हाल में काफी गिरावट आई है लेकिन पिछले साल अक्टूबर में यह देश का सबसे बड़ा औद्योगिक घराना था। इसी तरह बिड़ला ग्रुप और एयरटेल ग्रुप का कारोबार भी कई क्षेत्रों में फैला है। आचार्य का कहना है कि इन कंपनियों के पास रिटेल, रिसोर्सेज और टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में प्राइस तय करने की बहुत पावर है। महंगाई बढ़ाने में इन कंपनियों का भी हाथ है, इसलिए इनको तोड़ा जाना चाहिए। इससे कंप्टीशन बढ़ेगा और कीमतों में कमी आएगी।
कौन हैं विरल आचार्य
आचार्य जनवरी 2017 से जुलाई 2019 तक आरबीआई में डिप्टी गवर्नर रहे। उन्होंने कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही आरबीआई में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। आचार्य ने पॉलिसी रेट से जुड़े कई फैसलों में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) के खिलाफ वोट दिया था। फिलहाल वह न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। आरबीआई में उनके भाषणों पर Quest for Restoring Financial Stability in India नाम से एक किताब भी प्रकाशित हुई है। वह वह शिकागो, क्लीवलैंड, न्यूयॉर्क और फिलाडेल्फिया के फेडरल रिजर्व बैंक्स में एकैडेमिक एडवाइजर हैं। साथ ही बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी शामिल हैं। उन्होंने Bank for International Settlements, International Monetary Fund और World Bank को भी अपनी एक्सपर्ट सर्विसेज दी है।
आचार्य ने साल 1995 में आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद 2001 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी-स्टर्न से फाइनेंस में पीएचडी की। स्टर्न को जॉइन करने से पहले वह 2001 से 2008 तक लंदन बिजनस स्कूल (London Business School) से जुड़े रहे। स्टर्न में उन्होंने कई रिसर्च पेपर लिखे। उनकी रिसर्च मुख्यत: फाइनेंशियल सेक्टर और इसके रेगुलेशन से जुड़े हैं। उनके आर्टिकल दुनिया की कई जानी-मानी इकनॉमिक पत्रिकाओं और जर्नल्स में छपते रहते हैं। उन्हें 2011 में मॉनीटरी इकनॉमिक्स और फाइनेंस में पहला Banque de France – Toulouse School of Economics Junior Prize मिला था। 2017 में Bank for International Settlements (BIS) ने उन्हें Alexandre Lamfalussy Senior Research Fellowship दिया था।
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