मनरेगा गाइड लाइन के आधार पर की जा रही भुगतान प्रक्रिया, सप्लायरों के छूटे पसीने
भुगतान नहीं होने से झल्लाये सप्लायरों द्वारा लगाया जा रहा कमीशनखोरी का आरोप
भुगतान प्रक्रिया के समय सप्लायरों द्वारा अक्सर लगाए जाते रहे हैं कमीशनखोरी के गम्भीर आरोप, जि़म्मेदार अधिकारियों पर हमेशा बनाया जाता रहा है दबाव
चित्रकूट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के जरिए जहां सरकार गरीब श्रमिकों को गांव में ही रोज़गार उपलब्ध करा रही है वहीं दूसरी ओर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना विकास कार्यों के नाम पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती हुई दिखाई दे रही है जहां पर ग्राम प्रधान व सचिव की मिलीभगत से ठेकेदार अपनी मनमानी करते हुए मानक विहीन कार्य कराकर सरकारी धन का बंदरबाट करते हुए नजर आते हैं
जिले की ज्यादातर ग्राम पंचायतों में ठेकेदारी प्रथा जमकर हावी है जहां पर मनरेगा गाइड लाइन को दर किनार कर विकास कार्य करवाए जाते हैं व उन्ही विकास कार्यों के नाम पर मनमाने तरीके से भुगतान किए जाते हैं इनमें से ज्यादातर विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं जिसके कारण यह विकास कार्य समयावधि से पहले ही ध्वस्त हो जाते हैं
मनरेगा गाइड लाइन के अनुसार 60: 40का रेशियो होने पर ही भुगतान किया जा सकता है लेकिन पूर्व में जिम्मेदार अधिकारियों व सप्लायरों की मिलीभगत से बिना रेशियो पूरा हुए ही मनमाने तरीके से भुगतान प्रक्रिया पूरी की गई और जमकर कमीशनखोरी की गई l
इस वित्तीय वर्ष के जुलाई माह में मनरेगा गाइड लाइन के अनुसार होने वाले भुगतान ने सप्लायरों के पसीने छुड़वा दिए जिसके कारण यह सप्लायर जि़म्मेदार अधिकारियों पर कमीशनखोरी के गम्भीर आरोप लगाते हुए नजर आ रहे हैं
जिले की सदर ब्लॉक सहित अन्य ब्लाकों में भी ऐसी स्थिति देखने को मिली जहां पर सप्लायरों द्वारा कार्यक्रम अधिकारी (बीडीओ) पर कमीशनखोरी के गम्भीर आरोप लगाए गए और यह कहा गया कि जिसने कमीशन ज्यादा दिया है उसका भुगतान किया गया है और जिसने कमीशन नहीं दिया है उसका भुगतान नहीं किया गया है
मनरेगा भुगतान के लिए सबसे ज्यादा हंगामा जिले के सबसे चर्चित रामनगर ब्लाक का रहा जहां पर सप्लायरों द्वारा भुगतान प्रक्रिया में कमीशनखोरी के गम्भीर आरोप लगाए गए और हालात यहां तक पैदा हो गए कि ब्लाक परिसर में पुलिस को तैनात करना पड़ा
वहीं सप्लायरों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को दर किनार कर कार्यक्रम अधिकारियों (बीडीओ) द्वारा मनरेगा गाइड लाइन के अनुसार भुगतान प्रक्रिया पूरी की गई है
मनरेगा योजना से कराए गए कार्यों की भुगतान प्रक्रिया में हमेशा से सप्लायरों द्वारा जि़म्मेदार अधिकारियों पर कमीशनखोरी के आरोप लगाए जाते रहे हैं जिस सप्लायर का भुगतान हो जाता था उसके लिए अधिकारी बहुत सही होते थे और जिस सप्लायर का भुगतान नहीं हो पाता था वह जि़म्मेदार अधिकारियों पर कमीशनखोरी करने के गम्भीर आरोप लगाते रहे हैं
सबसे बडी सोचने वाली बात यह है कि ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के नाम पर मानक विहीन कार्य कराकर सरकारी धन का बंदरबाट करने वाले व विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपए की चल अचल संपत्ति अर्जित करने वाले सप्लायरों की जांच व जि़म्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कमीशन खोरी के लगाए जा रहे आरोपों की जांच कराकर ज़िला प्रशासन आवश्यक कार्यवाही करने का काम करेगा
क्या ज़िला प्रशासन उपरोक्त मामले को संज्ञान में लेते हुए ग्राम पंचायतों में सप्लायरों/ठेकेदारों द्वारा कराए गए विकास कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराकर भुगतान करवाने का काम करेगा या फ़िर मनरेगा गाइड लाइन को दर किनार कर भुगतान प्रक्रिया जारी रहेगी यह एक बड़ा सवाल है