नई दिल्ली: देश में बाघों की आबादी के ताजा आंकड़े आ गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि 2022 में बाघों की संख्या बढ़कर 3,167 पहुंच गई है। 2006 में बाघों की आबादी 1411 थी। 2010 के बाद यह फिर से बढ़ना शुरू हुई। टाइगर सेंसस 2023 की शुरुआत 2018 से ही हो गई थी। वैसे, इंसानों से इतर बाघों की गणना का काम इतना आसान नहीं होता है। इसमें कागज-कलम लेकर नोट करने जैसा काम नहीं होता है। पूरी रणनीति के साथ 24 घंटे 365 दिन की निगरानी के बाद आंकड़े आते हैं। जी हां, टाइगरों की गिनती के लिए देश के 20 से अधिक राज्यों में 32,500 जगहों पर कैमरे लगाए गए थे। पिछली बार बाघों की गणना में 26,800 स्थानों पर कैमरे लगे थे। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि टाइगरों का कुनबा पता करने के लिए कुल 4.7 करोड़ फोटो लिए गए थे।
सेंसस रिपोर्ट में बताया गया है, ‘इन तस्वीरों में से 97,399 तस्वीरें बाघों की थीं। 3,080 ऐसी तस्वीरें क्लिक की गईं जो अलग-अलग टाइगरों की विशिष्ट तस्वीरें थीं। पिछली गणना के समय ऐसी तस्वीरें 2,461 मिली थीं।’ मैसूर में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज भारत में दुनिया के 75 फीसदी बाघ रहते हैं। ऐसे समय में जब दुनियाभर में वन्यजीवों की आबादी स्थिर है या घट रही है, पर्यावरणविद भारत में बढ़ने वाला ट्रेंड देखकर चकित हैं।’ पीएम ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां प्रकृति की रक्षा करना संस्कृति का हिस्सा है। हम सह-अस्तित्व को महत्व देते हैं।
बाघों का घर है भारत
2018 से शुरू हुआ बाघों की गिनती का सफर दुनिया में किसी भी वन्यजीव की आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा प्रयास था। इसमें 6.4 लाख किमी का पैदल सर्वे किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक कैमरे में दिखे टाइगरों की सबसे ज्यादा तादाद मध्य भारत क्षेत्र में देखी गई। इसके बाद पूर्वी घाट, पश्चिमी घाट, शिवालिक पहाड़ी और ब्रह्मपुत्र मैदानी और सुंदरबन क्षेत्र रहा।
पीएम मोदी ने रविवार को कहा कि भारत में प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता न केवल देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए गर्व की बात है। भारत ने न केवल बाघों को बचाया है बल्कि उन्हें फलने-फूलने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र भी उपलब्ध कराया है। पीएम ने कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर करीब 75 फीसदी बाघ भारत में हैं। 10 से 12 साल की अवधि में बाघों की आबादी में 75 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वन्यजीव प्रेमियों को आश्चर्य होता है लेकिन भारत में बाघों की संख्या बढ़ी है क्योंकि प्रकृति के प्रति भारतीयों की श्रद्धा है। मध्य भारत के लोग बाघों की पूजा करते रहे हैं और कई अन्य लोग उन्हें अपने परिवार के रूप में मानते थे।
2010 में 1,706
2014 में 2,226
2018 में 2,967
2022 में 3,167 टाइगर