जयपुर, राजस्थान,5 सितंबर,2023 हमारे राजस्थान रेजिडेंट जनरल एंड मैनेजिंग एडिटर राजेश कुमार शर्मा सिंघाना सतनाली वाले वरिष्ठ पत्रकार की लेखनी से राजस्थान राज्य की झुंझुनूं जिले की सीटों पर इस बार यदि प्रत्याशी चयन में कुछ बड़े परिवर्तन भी यदि अवलोकनार्थ प्रस्तुत हो जाएं तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए ऐसी खुशर पुषर राजनीतिक गलियारों में संभावना की प्रतियोगिता में नजर आने की उड़ती सी संभावनामय खबर है।
अब इस संभावनामय खबर में कितना सार है ये तो आने वाला समय ही बता पाएगा। लेकिन जैसा कि राजनीतिक गलियारों में अक्सर गुंजायमान रहने वाली एक कहावत को यदि सुनायमान किया जाए तो राजनीतिक खबरें लिखने वाले खबरची और राजनीतिक खबरों को समोशा चाट की तरह चटखारे लेकर चर्चित करने वाले चटोरों की चटोरी खबरों पर यदि भरोसा किया जाए तो झुंझुनूं जिले में इस बार विधानसभा के चुनावों में कुछ नए दरी बिछाऊ धनुर्धर (शांति अहिंसा मर्यादा नीति अनुशासन संविधान कानून सर्व जन हार्दिक भाईचारा का हार्दिक पालन करते हुए सभी नियमों का हार्दिक पालन करते हुए धनुर्धर शब्द का प्रयोग व्यंग उत्पन्न करने के लिए किया गया है रुचि आकर्षण उत्पन्न करने के लिए किया गया है )भी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाते यदि नजर आ जाएं तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं में ये कातर विनम्र चर्चा भी अक्सर सुंदर तरीके से चर्चायमान रहती है अक्सर कि ऐसे सुंदर प्रत्याशियों को भी सुंदरतापूर्वक गंभीरतापूर्वक चुनाव मैदान में अपना सुंदर भाग्य आजमाने का सुंदर औसर यानी अवसर मिलना ही चाहिए जो वर्षो से समाज सेवा के महान आदर्शों को साकार करने के लिए दुनिया का सबसे कल्डा काम यानी सबसे कठिन कार्य यानी दरी बिछाने का कार्य करते रहें है। आखिर दरी बिछाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को जब तक टिकट का सुंदर सेहरा नही बांधा जायेगा तब तक लोकतंत्र के महान सुंदर आदर्श कैसे साकार होंगे ? शायद इस बार ये संभावना बनती लग रही है कि वर्षों से दरी बिछाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को शायद इस बार राजनीतिक दादा और दादियां (पूरे सम्मान के साथ सभी नियमों का पालन करते हुए कातर विनम्रता पूर्वक दादा यानी सम्मान के साथ पिता के पिता और दादियां यानी पिता की माता शब्द यहां हार्दिक सम्मान स्नेह के साथ व्यंग उत्पन्न करने के लिय उपयोग किया गया है )यानी राजनीतिक दलों का नेतृत्व अपने दरी बिछाऊ जमीनी कार्यकर्ताओं को किसी कहानी के उस सम्मानित दादा और सम्मानित दादी की तरह जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट दे सकते है जो किसी कहानी में सम्मानित दादा दादी अपने लाडले सेवक को अपने चबूतरे पर पूरे सम्मान और स्नेह के साथ भोजन कराते थे। जी हां झुंझुनूं जिले में इस बार ऐसे ही ऐक दरी बिछाऊ निष्ठावान निरंतर सेवा करने वाले तपे तपाए वरिष्ठ युवा सुंदर राजनीतिक कार्यकर्ता और नेता महेश भाई बसावतिया का नाम झुंझुनूं जिले के राजनीतिक गलियारों में बड़े चाव से सुनायमान हो रहा है। इस आलेख खबर का लेखक मैं ऊपर विस्तृत वर्णित वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार शर्मा बड़े ही सुन्दर तरीके से महान जनता जनार्दन को सच्ची धोक लगाते हुए ये बताना चाहता हूं कि ऊपर मैंने ऐक राजनीतिक कहावत यानी मैक्सिम का उल्लेख किया था लेकिन नाम नही बताया,लो अब बताता हूं कि वर्षों तक मैंने राजनीतिक आलेखों में कई सेलेब्रेटेड राजनीतिक लेखकों के द्वारा इस राजनीतिक कहावत का उल्लेख पढ़ा है कि राजनीति में एक सप्ताह का समय भी बड़ा लंबा होता है। यानी राजनीति वो चीज है जिसमें निरंतर उठा पटक और निरंतर जल्दी जल्दी परिवर्तन होते रहते है, बड़े बड़े परिवर्तन होते रहते हैं ,ऐसी राजनीति में सात दिन का समय बहुत बड़ा होता हैं यानी राजनीति में सात दिन भी कोई चीज या कोई बात टिकी रह जाए तो बहुत बड़ी बात होती है यानी अब जो बात कही जा रही है वो चुनावों तक भी टिकी रहेगी ये तो भविष्य ही बताएगा ,लेकिन फिलहाल झुंझुनूं जिले में ये चर्चा सुनायमान हो रही है कि महेश भाई बसावतीया इस बार यदि बीजेपी की टिकट प्राप्त करके चुनाव मैदान में नजर आ जाएं तो वर्षों दरी बिछाने का तप जनता जनार्दन की सेवा में साकार हो सकता है।
लोग हार्दिक स्नेह से व्यंग और सम्मान के साथ ये चर्चा करते हैं कि महेश भाई बसावतिया ने वर्षों तक पार्टी के लिय दरी बिछाई है इसलिए वो सुंदर भी हैं और एक ब्राह्मण भी हैं ऐसा सर्व मान्य कॉम्बिनेशन बड़ा ही जिताऊ नजर आ रहा है। सर्व जन हार्दिक भाई चारे को हार्दिक धोक लगाते हुए हार्दिक सम्मान करते हुए मैं यहां कोई जातिवाद की बात नही कर रहा हूं ,करनी भी नहीं चाहिए , हमारा पूरा हार्दिक वल्लभ भारतवर्ष धूम धाम पूर्वक एक ही जाति एक ही परिवार है। भारतवर्ष का प्रत्येक व्यक्ति एक ही परिवार का है, भारतवर्ष का प्रत्येक व्यक्ति समान दर्जे का सम्मानित है वल्लभ है। तो फिर यहां सबकी दया सम्मान संरक्षण से सर्व जन हार्दिक भाई चारे सहिष्णुता सह अस्तित्व अहिंसा नीति मर्यादा सभ्यता संविधान कानून और सभी नियमों का हार्दिक पालन करते हुए ब्राह्मण शब्द का कातरतापूर्वक सम्मान पूर्वक उल्लेख करने का मंतव्य मात्र ये ही है कि लोग अक्सर चर्चा करते हैं कि राजनीति में अक्सर ब्राह्मण और महाजन प्रत्याशियों को शायद अक्सर कम टिकट मिलते हैं राजनीति के मैदान में । इस लिए शायद इस बार महेश भाई बसावतीया को इस कॉम्बिनेशन को मद्देनजर रखते हुए कि वो सुंदर भी हैं यानी वर्षों तक पार्टी की दरी बिछाकर पार्टी और समाज और राष्ट्र की वल्लभ सेवा की है, और वो एक ब्राह्मण भी हैं यानी जिनको अक्सर कम टिकट मिलने की आशंका बताई जाती है उन ब्राह्मण महाजन ग्रुप से भी हैं । यानी शायद इस बार पार्टी भी और जनता जनार्दन भी उनको झुंझुनूं जिले में किसी सीट से या झुंझुनूं जिला मुख्यालय सीट से टिकट और जीत का सेहरा ठीक उसी प्रकार दे सकती है जैसे एक कहानी की सम्मानित दादी एक सेवक को तो अपने चबूतरे पर पर बड़े ही सम्मान से भोजन कराती थी और और एक बेचारे सम्मानित सेवक को अपने दूध गर्म करने के स्थान के पास दूध की मलाई और कभी कभार खुरचन भी बड़े सम्मान से दे दिया करती थी ।
इस खबर आलेख का लेखक ऊपर विस्तृत वर्णित मैं वरिष्ठ युवा पत्रकार राजेश कुमार शर्मा सिंघाना झुंझुनूं राजस्थान महेश भाई बसावतिया के बारे में उक्त आशंका खबर ऐसी ही कोई ढपोरशंख ( सबसे दया मांगकर सबका सम्मान करते हुए कातर विनम्रता पूर्वक यहां मैंने ढपोर शंख शब्द का प्रयोग व्यंग उत्पन्न करने के लिय किया हैं ,बचपन में मैंने अपनी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में इस ढपोर शंख शब्द को पढ़ा था और आज तक अपने सुंदर याद कोश में संजो कर रखा है, क्योंकि मैं एक व्यंग काड यानी किसी बात में से व्यंग निकाल लेने वाला लेखक पत्रकार हूं बड़े ही प्यार से सबका व्यंग काड सुंदर प्यार मांगते हुए पूरे सम्मान के साथ सबका सम्मान करते हुए ) स्टाइल में थोड़े ही लिख रहा हूं , ऐक अनुभवी पत्रकार के रूप में मुझे वर्षों से ये अनुभव रहा हैं ,वर्षों मैंने अखबारों में पढ़ा है कि जब भी किसी बीजेपी नेता का झुंझुनूं दौरा हुआ तो महेश भाई बसावतिया ने अपनी उपस्थिति बड़े ही सुन्दर तरीके से पार्टी और समाज के लिए दर्ज कराई।
कुछ अवसरों पर तो मैं जब किसी बड़े व्यापक प्रचारित अखबार का स्टाफ जर्नलिस्ट हुआ करता था और अपने अखबार के दफ्तर में कर्तव्य निर्वहन रत रहा करता था तो महेश भाई बसावतीया बड़े ही घाबरे ( सबका सम्मान करते हुए सबसे दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए यहां घाबरे शब्द का प्रयोग व्यंग उत्पन्न करने के लिय संतोष पूर्वक किया गया है यहां घा ब रा का स्टैंडर्ड या मानक अर्थ बड़ा ही कर्मठ समर्पित और निष्ठावान और जिम्मेदार के रूप में लिया गया है। ) होकर अखबार के दफ्तर में प्रेस विज्ञप्ति सबका साथ मांगू सबका विकास करूं अंदाज में देने आते थे। मैं बड़े ही चाव से महेश भाई बसावतिया के तप त्याग समर्पण और कर्मठता को अवलोकन करता रहता था अखबार के दफ्तर में। मैं दुनिया के एक अन्य सबसे महान दयालु व्यापक प्रचारित विश्वशनीय अखबार के दफ्तर में स्टाफ जर्नलिस्ट के रूप में ये अनुभव रखता हूं कि कुछेक ऐसे नेता और तब के कार्यकर्ता अखबार के दफ्तर में प्रेस विज्ञप्ति या स्पष्टीकरण लेकर आते थे और आज की राजनीति में सफलता रूपी रूपमय कुर्सियां हासिल करके मंत्री तक के पदों पर पहुंचे हैं।
लोग अनुमान या कयास लगाकर आशंका जाहिर करते हैं और महेश भाई बसावतीय ने भी ऐक व्हाट्स एप प्रेस नोट प्रेषित करके बताया है कि यदि राजस्थान में माननीय वसुंधरा राजे माननीय पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान की प्रदेश में टिकट वितरण में यदि भूमिका रही और यदि उनकी कृपा रही तो झुंझुनू से वरिष्ठ भाजपा नेता महेश बसावतिया हो सकते हैं विधानसभा क्षेत्र झुंझुनू से प्रत्याशी। क्योंकि महेश बसावतीया को माननीय वसुंधरा राजे का बड़ा ही निकटस्थ माना जाता है। महेश बसावतीया के व्हाट्स एप प्रेस नोट मुताबिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश में जातिगत समीकरण को मद्देनजर रखते हुए ब्राह्मण समाज को भी वांछित अनुपात में वाजिब अनुपात में महत्व दिया जाना प्रस्तावित बताया जा रहा है ,उसी संदर्भ में झुंझुनू सीट से भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता महेश बसावतिया को मुख्य मुकाबले में उतारा जा सकता है ऐसी संभावना जताई जा रही है अब ये साकार होंगी या नहीं होंगी ये भविष्य के गर्भ में है । ज्ञात रहे महेश बसावतिया पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के नजदीकी हैं वहीं भाजपा के दिग्गज नेताओं के करीबी तथा भाजपा नीतियों के प्रबल विस्तारक प्रचारक के रूप में जाने जाते हैं। जिले के ढाणी , कस्बों सहित हर गांव के अंतिम छोर तक इनकी स्वयं की पहचान भाजपा के सुंदर सदस्य के रूप में जगजाहिर है। प्रदेश में ब्राह्मण जाति को प्रतिनिधित्व दिए जाने के मद्देनजर झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र विशेष महत्व रखता है। राजस्थान विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष नरोत्तम लाल जोशी ने भी झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर समाज की सेवा की थी। । आलेख समापन से पहले यहां एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख करना इस आलेख को अधिक पठनीय बनाने और किसी भी पार्टी में कार्यकर्ता के महत्व को वर्णित करने का कार्य कर सकते हैं। बात ये है कि पिछले दिनों एक बड़ी पार्टी के खनकती आवाज आकर्षक आवाज के आकर्षक श्रवणीय वक्ता नेता महोदय ने ,(जो अपने ग्रह राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य में अपनी पार्टी के लिय बड़े नेता के रूप मे कार्य करते हैं) भी कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित किया था। इस आलेख के समापन से पहले मैं भी किसी भी पार्टी में कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित करना चाहता हूं । और जिस दौर में खानदानी धनाढ्य नेताओं की बजाय गरीब सम्मानित दरी बिछाऊ (यानी वो सम्मानित कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए सम्मान से दरी बिछाने का कार्य करते हैं ) चाय विक्रेता गरीब सामान्य कार्यकर्ता सीएम पीएम बनने लग गए हों उस दौर में वैसे भी कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित करना प्रासंगिक है। मै प्रस्तुत आलेख का लेखक ऊपर विस्तृत वर्णित वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार शर्मा सिंघाना झुंझुनूं राजस्थान 8279020996 यहां कार्यकर्ता के महत्व वाले लोकतांत्रिक सिद्धांत का प्रकटीकरण करते हुए मैं ये बताना चाहता हूं कि अपने लगभग 23 वर्षों के पत्रकारिता कैरियर की शुरुआत में मै राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के सिंघाना कस्बे में अपने एक पुराने हार्दिक वल्लभ नेता मित्र, (जिनकी उस दौर में एसटीडी हुआ करती थी ,और मै
उस एसटीडी से उस दौर में फैक्स के जमाने में अपने महान दयालु व्यापक प्रचारित हिंदी दैनिक अखबार को संवाददाता के रूप में खबरें फैक्स प्रेषित किया करता था ,जो बाद में उप सरपंच भी बने जिनका नाम रतन चौधरी था ) से अक्सर पत्रकारिता राजनीति की बातों पर घाबरा होकर अर्थात बड़ी ही जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से वार्ता किया करता था । उन वार्ताओं में ही वहां उपस्थित पांच सात बतियारे यानी सम्मानित वार्ता करने वाले सम्मानित वार्ताकार बतियाते थे कि झुंझुनूं जिले के सिंघाना क्षेत्र में शायद एक कार्यकर्ता गरीब नेता जेपी गांधी के नाम से बड़े चर्चित प्रसिद्ध हुए सिंघाना क्षेत्र की राजनीति में,उनके बारे में कयास लगाए जाते थे कि जेपी गांधी शायद एमएलए बन सकते हैं ,शायद राजनीति में कोई बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं ,लेकिन शायद बाद में उन्हें कोई बड़ी घातक बीमारी शायद टीबी हो गई ,जो उनकी असामयिक मृत्यु का कारण बनी । यहां सम्मानित कार्यकर्ता नेता जेपी गांधी नामक भाई साहब का उल्लेख करने का मंतव्य ये ही है कि राजनीति में कार्यकर्ता को भी टिकट मिले एमएलए एमपी मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिले तो लोकतंत्र सच्चे रूप में साकार होता है। और महेश भाई बसवतीया भी एक जमीनी कार्यकर्ता हैं। और ऐसे जमीनी कार्यकर्ता को यदि टिकट मिलती है तो लोकतंत्र के लिए बड़ा ही सुंदर अवसर होगा ।
बसावतिया की ब्राह्मण समाज के अलावा ओबीसी , एससी, एसटी मतदाताओं पर भी अच्छी पकड़ मानी जाती है वहीं व्यापारी वर्ग , छात्र संघ से जुड़े युवाओं में गहरी पैठ हैं। सर्व जन हार्दिक भाईचारे को साथ लेकर चलने वाले बसावतिया पर भाजपा दांव लगा सकती हैं ऐसी सुंदर आशंका वर्तमान में जाहिर की जा रही है, साकार होगी या नहीं होगी, ये भविष्य बताएगा।जनीतिक खबरें लिखने वाले खबरची और राजनीतिक खबरों को समोशा चाट की तरह चटखारे लेकर चर्चित करने वाले चटोरों की चटोरी खबरों पर यदि भरोसा किया जाए तो झुंझुनूं जिले में इस बार विधानसभा के चुनावों में कुछ नए दरी बिछाऊ धनुर्धर (शांति अहिंसा मर्यादा नीति अनुशासन संविधान कानून सर्व जन हार्दिक भाईचारा का हार्दिक पालन करते हुए सभी नियमों का हार्दिक पालन करते हुए धनुर्धर शब्द का प्रयोग व्यंग उत्पन्न करने के लिए किया गया है रुचि आकर्षण उत्पन्न करने के लिए किया गया है )भी चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाते यदि नजर आ जाएं तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं में ये कातर विनम्र चर्चा भी अक्सर सुंदर तरीके से चर्चायमान रहती है अक्सर कि ऐसे सुंदर प्रत्याशियों को भी सुंदरतापूर्वक गंभीरतापूर्वक चुनाव मैदान में अपना सुंदर भाग्य आजमाने का सुंदर औसर यानी अवसर मिलना ही चाहिए जो वर्षो से समाज सेवा के महान आदर्शों को साकार करने के लिए दुनिया का सबसे कल्डा काम यानी सबसे कठिन कार्य यानी दरी बिछाने का कार्य करते रहें है। आखिर दरी बिछाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को जब तक टिकट का सुंदर सेहरा नही बांधा जायेगा तब तक लोकतंत्र के महान सुंदर आदर्श कैसे साकार होंगे ? शायद इस बार ये संभावना बनती लग रही है कि वर्षों से दरी बिछाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को शायद इस बार राजनीतिक दादा और दादियां (पूरे सम्मान के साथ सभी नियमों का पालन करते हुए कातर विनम्रता पूर्वक दादा यानी सम्मान के साथ पिता के पिता और दादियां यानी पिता की माता शब्द यहां हार्दिक सम्मान स्नेह के साथ व्यंग उत्पन्न करने के लिय उपयोग किया गया है )यानी राजनीतिक दलों का नेतृत्व अपने दरी बिछाऊ जमीनी कार्यकर्ताओं को किसी कहानी के उस सम्मानित दादा और सम्मानित दादी की तरह जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट दे सकते है जो किसी कहानी में सम्मानित दादा दादी अपने लाडले सेवक को अपने चबूतरे पर पूरे सम्मान और स्नेह के साथ भोजन कराते थे। जी हां झुंझुनूं जिले में इस बार ऐसे ही ऐक दरी बिछाऊ निष्ठावान निरंतर सेवा करने वाले तपे तपाए वरिष्ठ युवा सुंदर राजनीतिक कार्यकर्ता और नेता महेश भाई बसावतिया का नाम झुंझुनूं जिले के राजनीतिक गलियारों में बड़े चाव से सुनायमान हो रहा है। इस आलेख खबर का लेखक मैं ऊपर विस्तृत वर्णित वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार शर्मा बड़े ही सुन्दर तरीके से महान जनता जनार्दन को सच्ची धोक लगाते हुए ये बताना चाहता हूं कि ऊपर मैंने ऐक राजनीतिक कहावत यानी मैक्सिम का उल्लेख किया था लेकिन नाम नही बताया,लो अब बताता हूं कि वर्षों तक मैंने राजनीतिक आलेखों में कई सेलेब्रेटेड राजनीतिक लेखकों के द्वारा इस राजनीतिक कहावत का उल्लेख पढ़ा है कि राजनीति में एक सप्ताह का समय भी बड़ा लंबा होता है। यानी राजनीति वो चीज है जिसमें निरंतर उठा पटक और निरंतर जल्दी जल्दी परिवर्तन होते रहते है, बड़े बड़े परिवर्तन होते रहते हैं ,ऐसी राजनीति में सात दिन का समय बहुत बड़ा होता हैं यानी राजनीति में सात दिन भी कोई चीज या कोई बात टिकी रह जाए तो बहुत बड़ी बात होती है यानी अब जो बात कही जा रही है वो चुनावों तक भी टिकी रहेगी ये तो भविष्य ही बताएगा ,लेकिन फिलहाल झुंझुनूं जिले में ये चर्चा सुनायमान हो रही है कि महेश भाई बसावतीया इस बार यदि बीजेपी की टिकट प्राप्त करके चुनाव मैदान में नजर आ जाएं तो वर्षों दरी बिछाने का तप जनता जनार्दन की सेवा में साकार हो सकता है।
लोग हार्दिक स्नेह से व्यंग और सम्मान के साथ ये चर्चा करते हैं कि महेश भाई बसावतिया ने वर्षों तक पार्टी के लिय दरी बिछाई है इसलिए वो सुंदर भी हैं और एक ब्राह्मण भी हैं ऐसा सर्व मान्य कॉम्बिनेशन बड़ा ही जिताऊ नजर आ रहा है। सर्व जन हार्दिक भाई चारे को हार्दिक धोक लगाते हुए हार्दिक सम्मान करते हुए मैं यहां कोई जातिवाद की बात नही कर रहा हूं ,करनी भी नहीं चाहिए , हमारा पूरा हार्दिक वल्लभ भारतवर्ष धूम धाम पूर्वक एक ही जाति एक ही परिवार है। भारतवर्ष का प्रत्येक व्यक्ति एक ही परिवार का है, भारतवर्ष का प्रत्येक व्यक्ति समान दर्जे का सम्मानित है वल्लभ है। तो फिर यहां सबकी दया सम्मान संरक्षण से सर्व जन हार्दिक भाई चारे सहिष्णुता सह अस्तित्व अहिंसा नीति मर्यादा सभ्यता संविधान कानून और सभी नियमों का हार्दिक पालन करते हुए ब्राह्मण शब्द का कातरतापूर्वक सम्मान पूर्वक उल्लेख करने का मंतव्य मात्र ये ही है कि लोग अक्सर चर्चा करते हैं कि राजनीति में अक्सर ब्राह्मण और महाजन प्रत्याशियों को शायद अक्सर कम टिकट मिलते हैं राजनीति के मैदान में । इस लिए शायद इस बार महेश भाई बसावतीया को इस कॉम्बिनेशन को मद्देनजर रखते हुए कि वो सुंदर भी हैं यानी वर्षों तक पार्टी की दरी बिछाकर पार्टी और समाज और राष्ट्र की वल्लभ सेवा की है, और वो एक ब्राह्मण भी हैं यानी जिनको अक्सर कम टिकट मिलने की आशंका बताई जाती है उन ब्राह्मण महाजन ग्रुप से भी हैं । यानी शायद इस बार पार्टी भी और जनता जनार्दन भी उनको झुंझुनूं जिले में किसी सीट से या झुंझुनूं जिला मुख्यालय सीट से टिकट और जीत का सेहरा ठीक उसी प्रकार दे सकती है जैसे एक कहानी की सम्मानित दादी एक सेवक को तो अपने चबूतरे पर पर बड़े ही सम्मान से भोजन कराती थी और और एक बेचारे सम्मानित सेवक को अपने दूध गर्म करने के स्थान के पास दूध की मलाई और कभी कभार खुरचन भी बड़े सम्मान से दे दिया करती थी ।
इस खबर आलेख का लेखक ऊपर विस्तृत वर्णित मैं वरिष्ठ युवा पत्रकार राजेश कुमार शर्मा सिंघाना झुंझुनूं राजस्थान महेश भाई बसावतिया के बारे में उक्त आशंका खबर ऐसी ही कोई ढपोरशंख ( सबसे दया मांगकर सबका सम्मान करते हुए कातर विनम्रता पूर्वक यहां मैंने ढपोर शंख शब्द का प्रयोग व्यंग उत्पन्न करने के लिय किया हैं ,बचपन में मैंने अपनी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में इस ढपोर शंख शब्द को पढ़ा था और आज तक अपने सुंदर याद कोश में संजो कर रखा है, क्योंकि मैं एक व्यंग काड यानी किसी बात में से व्यंग निकाल लेने वाला लेखक पत्रकार हूं बड़े ही प्यार से सबका व्यंग काड सुंदर प्यार मांगते हुए पूरे सम्मान के साथ सबका सम्मान करते हुए ) स्टाइल में थोड़े ही लिख रहा हूं , ऐक अनुभवी पत्रकार के रूप में मुझे वर्षों से ये अनुभव रहा हैं ,वर्षों मैंने अखबारों में पढ़ा है कि जब भी किसी बीजेपी नेता का झुंझुनूं दौरा हुआ तो महेश भाई बसावतिया ने अपनी उपस्थिति बड़े ही सुन्दर तरीके से पार्टी और समाज के लिए दर्ज कराई।
कुछ अवसरों पर तो मैं जब किसी बड़े व्यापक प्रचारित अखबार का स्टाफ जर्नलिस्ट हुआ करता था और अपने अखबार के दफ्तर में कर्तव्य निर्वहन रत रहा करता था तो महेश भाई बसावतीया बड़े ही घाबरे ( सबका सम्मान करते हुए सबसे दया सम्मान संरक्षण मांगते हुए यहां घाबरे शब्द का प्रयोग व्यंग उत्पन्न करने के लिय संतोष पूर्वक किया गया है यहां घा ब रा का स्टैंडर्ड या मानक अर्थ बड़ा ही कर्मठ समर्पित और निष्ठावान और जिम्मेदार के रूप में लिया गया है। ) होकर अखबार के दफ्तर में प्रेस विज्ञप्ति सबका साथ मांगू सबका विकास करूं अंदाज में देने आते थे। मैं बड़े ही चाव से महेश भाई बसावतिया के तप त्याग समर्पण और कर्मठता को अवलोकन करता रहता था अखबार के दफ्तर में। मैं दुनिया के एक अन्य सबसे महान दयालु व्यापक प्रचारित विश्वशनीय अखबार के दफ्तर में स्टाफ जर्नलिस्ट के रूप में ये अनुभव रखता हूं कि कुछेक ऐसे नेता और तब के कार्यकर्ता अखबार के दफ्तर में प्रेस विज्ञप्ति या स्पष्टीकरण लेकर आते थे और आज की राजनीति में सफलता रूपी रूपमय कुर्सियां हासिल करके मंत्री तक के पदों पर पहुंचे हैं।
लोग अनुमान या कयास लगाकर आशंका जाहिर करते हैं और महेश भाई बसावतीय ने भी ऐक व्हाट्स एप प्रेस नोट प्रेषित करके बताया है कि यदि राजस्थान में माननीय वसुंधरा राजे माननीय पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान की प्रदेश में टिकट वितरण में यदि भूमिका रही और यदि उनकी कृपा रही तो झुंझुनू से वरिष्ठ भाजपा नेता महेश बसावतिया हो सकते हैं विधानसभा क्षेत्र झुंझुनू से प्रत्याशी। क्योंकि महेश बसावतीया को माननीय वसुंधरा राजे का बड़ा ही निकटस्थ माना जाता है। महेश बसावतीया के व्हाट्स एप प्रेस नोट मुताबिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश में जातिगत समीकरण को मद्देनजर रखते हुए ब्राह्मण समाज को भी वांछित अनुपात में वाजिब अनुपात में महत्व दिया जाना प्रस्तावित बताया जा रहा है ,उसी संदर्भ में झुंझुनू सीट से भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ता महेश बसावतिया को मुख्य मुकाबले में उतारा जा सकता है ऐसी संभावना जताई जा रही है अब ये साकार होंगी या नहीं होंगी ये भविष्य के गर्भ में है । ज्ञात रहे महेश बसावतिया पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के नजदीकी हैं वहीं भाजपा के दिग्गज नेताओं के करीबी तथा भाजपा नीतियों के प्रबल विस्तारक प्रचारक के रूप में जाने जाते हैं। जिले के ढाणी , कस्बों सहित हर गांव के अंतिम छोर तक इनकी स्वयं की पहचान भाजपा के सुंदर सदस्य के रूप में जगजाहिर है। प्रदेश में ब्राह्मण जाति को प्रतिनिधित्व दिए जाने के मद्देनजर झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र विशेष महत्व रखता है। राजस्थान विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष नरोत्तम लाल जोशी ने भी झुंझुनू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर समाज की सेवा की थी। । आलेख समापन से पहले यहां एक महत्वपूर्ण बात का उल्लेख करना इस आलेख को अधिक पठनीय बनाने और किसी भी पार्टी में कार्यकर्ता के महत्व को वर्णित करने का कार्य कर सकते हैं। बात ये है कि पिछले दिनों एक बड़ी पार्टी के खनकती आवाज आकर्षक आवाज के आकर्षक श्रवणीय वक्ता नेता महोदय ने ,(जो अपने ग्रह राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य में अपनी पार्टी के लिय बड़े नेता के रूप मे कार्य करते हैं) भी कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित किया था। इस आलेख के समापन से पहले मैं भी किसी भी पार्टी में कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित करना चाहता हूं । और जिस दौर में खानदानी धनाढ्य नेताओं की बजाय गरीब सम्मानित दरी बिछाऊ (यानी वो सम्मानित कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए सम्मान से दरी बिछाने का कार्य करते हैं ) चाय विक्रेता गरीब सामान्य कार्यकर्ता सीएम पीएम बनने लग गए हों उस दौर में वैसे भी कार्यकर्ता के महत्व को रेखांकित करना प्रासंगिक है। मै प्रस्तुत आलेख का लेखक ऊपर विस्तृत वर्णित वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार शर्मा सिंघाना झुंझुनूं राजस्थान 8279020996 यहां कार्यकर्ता के महत्व वाले लोकतांत्रिक सिद्धांत का प्रकटीकरण करते हुए मैं ये बताना चाहता हूं कि अपने लगभग 23 वर्षों के पत्रकारिता कैरियर की शुरुआत में मै राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के सिंघाना कस्बे में अपने एक पुराने हार्दिक वल्लभ नेता मित्र, (जिनकी उस दौर में एसटीडी हुआ करती थी ,और मै
उस एसटीडी से उस दौर में फैक्स के जमाने में अपने महान दयालु व्यापक प्रचारित हिंदी दैनिक अखबार को संवाददाता के रूप में खबरें फैक्स प्रेषित किया करता था ,जो बाद में उप सरपंच भी बने जिनका नाम रतन चौधरी था ) से अक्सर पत्रकारिता राजनीति की बातों पर घाबरा होकर अर्थात बड़ी ही जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से वार्ता किया करता था । उन वार्ताओं में ही वहां उपस्थित पांच सात बतियारे यानी सम्मानित वार्ता करने वाले सम्मानित वार्ताकार बतियाते थे कि झुंझुनूं जिले के सिंघाना क्षेत्र में शायद एक कार्यकर्ता गरीब नेता जेपी गांधी के नाम से बड़े चर्चित प्रसिद्ध हुए सिंघाना क्षेत्र की राजनीति में,उनके बारे में कयास लगाए जाते थे कि जेपी गांधी शायद एमएलए बन सकते हैं ,शायद राजनीति में कोई बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं ,लेकिन शायद बाद में उन्हें कोई बड़ी घातक बीमारी शायद टीबी हो गई ,जो उनकी असामयिक मृत्यु का कारण बनी । यहां सम्मानित कार्यकर्ता नेता जेपी गांधी नामक भाई साहब का उल्लेख करने का मंतव्य ये ही है कि राजनीति में कार्यकर्ता को भी टिकट मिले एमएलए एमपी मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिले तो लोकतंत्र सच्चे रूप में साकार होता है। और महेश भाई बसवतीया भी एक जमीनी कार्यकर्ता हैं। और ऐसे जमीनी कार्यकर्ता को यदि टिकट मिलती है तो लोकतंत्र के लिए बड़ा ही सुंदर अवसर होगा ।
बसावतिया की ब्राह्मण समाज के अलावा ओबीसी , एससी, एसटी मतदाताओं पर भी अच्छी पकड़ मानी जाती है वहीं व्यापारी वर्ग , छात्र संघ से जुड़े युवाओं में गहरी पैठ हैं। सर्व जन हार्दिक भाईचारे को साथ लेकर चलने वाले बसावतिया पर भाजपा दांव लगा सकती हैं ऐसी सुंदर आशंका वर्तमान में जाहिर की जा रही है, साकार होगी या नहीं होगी, ये भविष्य बताएगा।