सालभर पहले वार्ड 14 में 4 करोड़ की लागत से बनाए गए आईटीआई के तीन मंजिला बालक छात्रावास का हाल बुरा है। 120 की क्षमता वाले छात्रावास में 46 बच्चे ही रहते हैं, जबकि पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 286 है। छात्रावास भवन में 20 कमरे हैं, लेकिन उनका रखरखाव नहीं होता। यही वजह है कि छात्रावास की 29 खिड़कियों के कांच टूटे पड़े हैं।
छात्र खुली खिड़कियों से आने वाले मच्छरों से परेशान हैं इसलिए उन्होंने टाट व प्लास्टिक की खाली बोरियों से उसे ढंक रखा है। शिक्षक कहते हैं कि चौकीदार नहीं होने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई है, वहीं प्रभारी प्राचार्य बोले- हवा के झोंकों से कांच टूटे हैं, जबकि छात्रों का कहना है कि बाहर के बच्चों ने पत्थर फेंक-फेंककर कांच तोड़े हैं। भवन में मकड़ी के बड़े-बड़े जाले और कूड़े के ढेर हैं। फर्श पर धूल जमी है।
मच्छरों से परेशान, पानी भी नहीं
खिड़कियों के कांच टूटे होने से सबसे बड़ी समस्या यहां मच्छरों की है। फूटे कांचों से मच्छर अंदर आ जाते हैं। दो दिन से एक फेस बिजली नहीं होने से बच्चों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। इसलिए वे दूर निजी घरों से पानी लाते हैं।
पर्याप्त स्टाफ नहीं है
यहां कोई गार्ड या चौकीदार नहीं है। बाहरी बच्चे यहां रात में आकर पत्थर मारकर कांच फोड़ देते हैं। पर्याप्त स्टाफ है न सफाई कर्मचारी।
-राजेश, शिक्षक
आंधी चली तो कांच फूटे
सफाई कर्मचारी एक शिफ्ट में सुबह और दूसरी में रात को आते हैं। अभी कुछ दिन पहले तेज आंधी से कांच फूट गए हैं।