बीजिंग: चीन ने उस मिसाइल क्षमता को परखा है जिसके बाद वह दुश्मन की मिसाइलों को पल में ढेर कर सकेगा। इस क्षमता के सफल टेस्ट के बाद जमीन पर मौजूद चीन का परमाणु हथियारों का जखीरा पूरी तरह से सुरक्षित रह सकेगा। कहा जा रहा है कि चीन ने अमेरिका और भारत के खिलाफ अपने सुरक्षा घेरे को मजबूत करने के मकसद से ही इस क्षमता का टेस्ट किया है। माना जा रहा है कि जिस तरह से भारत और अमेरिका अपने परमाणु हथियारों में सुधार कर रहे हैं चीन भी उनकी ही तरह अपने जखीरे में इजाफा करना चाहता है।
रक्षा मंत्रालय का बयान
चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से कुछ दिनों पहले ऐलान किया गया था कि उसने एक मिड कोर्स मिसाइल इंटरसेप्टशन टेस्ट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इसके साथ ही मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि अब चीन अंतरिक्ष से भी किसी बैलेस्टिक मिसाइल को ढेर करने की ताकत रखता है। मिड कोर्स इंटरसेप्शन किसी भी हथियार को इंटरसेप्ट करने के लिए विस्तृत समय मुहैया कराता है। उड़ान के समय किसी भी आने वाली मिसाइल के बाद कोई ताकत नहीं बचती है और वह जैसे ही वातावरण में दोबारा एंट्री करती है तो पूर्व अनुमानित बैलेस्टिक क्षमता के साथ होती है और इसकी वजह से कई इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च कर द जाती हैं।
चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से कुछ दिनों पहले ऐलान किया गया था कि उसने एक मिड कोर्स मिसाइल इंटरसेप्टशन टेस्ट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इसके साथ ही मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि अब चीन अंतरिक्ष से भी किसी बैलेस्टिक मिसाइल को ढेर करने की ताकत रखता है। मिड कोर्स इंटरसेप्शन किसी भी हथियार को इंटरसेप्ट करने के लिए विस्तृत समय मुहैया कराता है। उड़ान के समय किसी भी आने वाली मिसाइल के बाद कोई ताकत नहीं बचती है और वह जैसे ही वातावरण में दोबारा एंट्री करती है तो पूर्व अनुमानित बैलेस्टिक क्षमता के साथ होती है और इसकी वजह से कई इंटरसेप्टर मिसाइल लॉन्च कर द जाती हैं।
किसी देश को रखकर नहीं टेस्ट
चीनी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि इस टेस्ट को चीन की सीमा में ही अंजाम दिया गया है। चीन की मानें तो टेस्ट को किसी भी देश को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है। हालांकि रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह नहीं बताया गया कि टेस्ट में टारगेट को सफलतापूर्वक भेदा गया या नहीं या फिर कितनी इंटरसेप्टर मिसाइल को फायर किया गया था। न ही इस बात की कोई जानकारी दी गई कि इंटरसेप्टर मिसाइलें कहां पर जाकर गिरी थीं। माना जा रहा है कि टेस्ट में चीन ने HQ-19 मिसाइल इंटरसेप्टर का प्रयोग किया होगा।
चीनी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि इस टेस्ट को चीन की सीमा में ही अंजाम दिया गया है। चीन की मानें तो टेस्ट को किसी भी देश को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है। हालांकि रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह नहीं बताया गया कि टेस्ट में टारगेट को सफलतापूर्वक भेदा गया या नहीं या फिर कितनी इंटरसेप्टर मिसाइल को फायर किया गया था। न ही इस बात की कोई जानकारी दी गई कि इंटरसेप्टर मिसाइलें कहां पर जाकर गिरी थीं। माना जा रहा है कि टेस्ट में चीन ने HQ-19 मिसाइल इंटरसेप्टर का प्रयोग किया होगा।
थाड सा है चीन का सिस्टम
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की तरफ से बताया गया है कि यह इंटरसेप्टर बिल्कुल अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) की ही तरह है। चीनी सिस्टम की रेंज एक हजार से तीन हजार किलोमीटर तक बताई जाती है। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह इटरमीडिएट-रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को बीच में ही इंटरसेप्ट कर लेता है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अपने मिसाइल डिफेंस को टेस्ट किया है। पिछले साल अक्टूबर में भी चीन के सफल लैंड बेस्ड मिड-कोर्स इंटरसेप्शन टेस्ट की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें चीन के रक्षा मंत्रालय ने जोर देकर कहा था कि यह रक्षात्मक था और किसी भी देश के लिए नहीं था।
भारत की सागरिका और प्रलय
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की तरफ से बताया गया है कि यह इंटरसेप्टर बिल्कुल अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) की ही तरह है। चीनी सिस्टम की रेंज एक हजार से तीन हजार किलोमीटर तक बताई जाती है। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह इटरमीडिएट-रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को बीच में ही इंटरसेप्ट कर लेता है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अपने मिसाइल डिफेंस को टेस्ट किया है। पिछले साल अक्टूबर में भी चीन के सफल लैंड बेस्ड मिड-कोर्स इंटरसेप्शन टेस्ट की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें चीन के रक्षा मंत्रालय ने जोर देकर कहा था कि यह रक्षात्मक था और किसी भी देश के लिए नहीं था।
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