नई दिल्ली: सीबीआई ने शुक्रवार यानी 23 दिसंबर 2022 को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ रही चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया है। चंदा कोचर पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए. 2017 में इस लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया। दरअसल, चंदा उस कमेटी का हिस्सा रहीं थीं, जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 750 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी। कमेटी का इस फैसले ने बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया था।
बैंकिंग सेक्टर में हासिल किया बड़ा मुकाम
एक समय ऐसा था जब चंदा कोचर का बड़ा नाम था। चंदा कोचर ने बैंकिंग सेक्टर में बड़ा नाम कमाया था। भारत सरकार ने चंदा कोचर को अपने तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से साल (2011 में) नवाजा था। राजस्थान के जोधपुर में एक सिंधी परिवार में पैदा हुईं कोचर बेहतर शैक्षणिक माहौल में पली-बढ़ीं, उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में बैचलर, इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेट्स ऑफ इंडिया से कॉस्ट अकाउंटेसी की और फिर मुंबई यूनिवर्सिटी से ही मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री ली। इसके बाद 1984 में बतौर मैनेजमेंट ट्रेनी चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई जॉइन किया. जब 1994 में आईसीआईसीआई संपूर्ण स्वामित्व वाली बैंकिंग कंपनी बन गई तो चंदा कोचर को असिस्टेंट जनरल मैनेजर बनाया गया। इसके बाद चंदा कोचर लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं. डिप्टी जनरल मैनेजर, जनरल मैनेजर के पदों से होती हुई 2001 में बैंक ने उन्हें एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना दिया। इसके बाद उन्हें कॉरपोरेट बिज़नेस देखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. फिर वो चीफ़ फ़ाइनेंशियल ऑफ़िसर बनाई गईं। 2009 में चंदा कोचर को सीईओ और एमडी बनाया गया।