दुनिया भर में 10 दिसंबर से मानवाधिकार सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसमें दुनिया में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघनों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। इसी बीच 1971 के बांग्लादेशी जनसंहार को पहचान दिलाने के लिए बेल्जियम के ब्रसेल्स में मानावाधिकार कार्यकर्ताओं ने एक बैठक की है।
जिससे पाकिस्तान को दुनिया भर में बदनाम होना पड़ सकता है। वहीं चीन के खिलाफ भी अमेरिका के कई राज्यों में प्रदर्शन हुए हैं। जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दोनों देशों की छवि और खराब होगी।
1971 के दोषियों को मिले सजा
मानवाधिकार दिवस पर 8 और 9 दिसंबर को ब्रसेल्स में हुई बैठक में एक मेमोरेंडम दाखिल किया गया । इसमें दुनियाभर में हो रहे जनसंहारों की आलोचना की गई। साथ ही 1971 में बांग्लादेश में पाकिस्तानी की तरफ से किए गए कत्लेआम को पहचान दिलाने की भी मांग की गई। इस मेमोरेंडम पर 180 लोगों ने साइन किया था।
मेमोरेंडम में लिखा गया कि बांग्लादेश में हुए जनसंहार को उस समय पूरी दुनिया ने नोटिस किया लेकिन उसे जल्द ही भुला भी दिया गया। अभी तक उन दोषियों को सजा देने के लिए कुछ नहीं किया गया है।
अमेरिका चीन के खिलाफ तिब्बती लोगों और उईगर मुस्लमानों का प्रदर्शन
चीनी सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अमेरिका में रह रहे उईगर मुस्लमानों और तिब्बत के लोगों ने कई प्रदर्शन किए हैं। 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस पर सिएटल, वाशिंगटन,पोर्टलैंड, ओरेगनसैन फ्रांसिस्को व कैलिफोर्निया में चीन के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने तेज बारिश और ठंडी हवाओं की भी परवाह नहीं की।
चीन के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले कई लोगों ने अपने हाथ में ब्लैंक पेपर पकड़े हुए थे। जिन्हें कोविड प्रदर्शनों के बाद चीन राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के खिलाफ एक साइन तौर पर देखा जा रहा है।
जानें क्या था 1971 का जनसंहार
पाकिस्तान की फौज बांग्लादेशियों पर पर कहर बरपाया था।
– इस दौरान पाकिस्तानी फौज ने करीब 30 लाख लोगों का कत्लेआम किया था।
– फौज ने दो लाख महिलाओं से बलात्कार किया था। लाखों बच्चों को भी मौत के घाट उतार था।
– सेना के जुल्मों से बचने के लिए हजारों की संख्या में शरणार्थी रोज भारत आ रहे थे।
– भारत में शरणार्थियों के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राहत शिविर लगवाए थे।