आस्ट्रेलिया, फ्रांस और ब्रिटेन समेत 15 देशों के सांसद और विधायकों के एक समूह ने कुछ चीनी कंपनियों के साथ व्यापार बंद करने की मांग की है। ये वो कंपनियां हैं जो तिब्बत, उइगर और दूसरे कई क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों का डीएनए इकट्ठा करने में चीन सरकार की मदद कर रही हैं। इन कंपनियों में चीन का बीजीआई समूह और अमेरिका की थर्मो फिशर कंपनी शामिल है।
चीन करता है अल्पसंख्यकों की बायोमेट्रिक निगरानी
‘इंटर-पार्लियामेंट्री एलांइस ऑन चाइना’ में शामिल सांसद और विधायकों ने अपने-अपने देश की सरकार से इन कंपनियों की जांच करने की भी मांग की है। ये कंपनियां डीएनए इकट्ठा करने के लिए जरुरी तकनीक चीन सरकार को उपलब्ध कराती हैं। इससे चीन सरकार अल्पसंख्यकों की बायोमेट्रिक निगरानी करती है। थर्मो फिशर चीन की एजेंसियों को डीएनए प्रोफाइलिंग किट उपलब्ध कराती थी।
चीन ने एक तिहाई तिब्बतियों का डीएनए किया इकट्ठा
ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2016 में चीन ने तिब्बत में लोगों का डीएनए इकट्ठा करने की शुरुआत की थी। अब तक तिब्बत के एक तिहाई लोगों का डीएनए इकट्ठा किया जा चुका है। इससे लोगों के निजता का अधिकार और मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। ये लोग पहले से ही चीन की सख्त निगरानी और शोषण झेल रहे हैं।
लोकतांत्रिकों देशों के प्रतिनिधियों का समूह है आईपीएसी
‘इंटर-पार्लियामेंट्री एलाइंस ऑन चाइना’ (आईपीएसी) एक अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसमें कई लोकतांत्रिक देशों की अलग-अलग पार्टियों के सांसद-विधायक शामिल हैं। इस समूह का मकसद चीन में मानवाधिकारों की रक्षा करना है। इन्होंने अपने संयुक्त पत्र में लिखा कि हम आईपीएसी के सदस्य चीन सरकार के बड़े स्तर पर डीएनए इकट्ठा करने पर चिंता व्यक्त करते हैं। इसके जरिए चीन सरकार तिब्बत और उइगर क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की निगरानी बढ़ाना चाहती है।
इस संयुक्त पत्र में ऑस्ट्रेलियाई सीनेटर क्लेयर चैंडलर, कनाडा सांसद आरिफ विरानी, आयरलैंड सीनेटर माइकल मैकडॉवेल, न्यूजीलैंड सांसद साइमन ओ’कॉनर और ब्रिटिश सांसद जेम्स बैथेल समेत कई सांसद शामिल हैं।