नई दिल्ली: चालबाज चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। चीन भारत के साथ हुए सैन्य टकराव के बाद बहुत तेजी से सीमा पर बुनियादी ढांचा बना रहा है। इसके अलावा उसने एलएसी पर अपने सैनिकों की तैनाती भी कम नहीं की है। ये बात भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को कही। उन्होंने कहा, कुल मिलाकर एलएसी पर स्थिति स्थिर है, लेकिन हमें इस पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है।
अप्रैल-मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में कई बार घुसपैठ करने के बाद से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने हथियारों के साथ लगभग 50,000 सैनिकों को आगे तैनात रखा है। 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी के सभी सेक्टरों में भारतीय सेना भी मजबूती से तैनात है, जो चीन के हर कदम का जवाब देने के लिए तैयार है। भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक तैनात है।
एक निजी चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ‘हमारे पास किसी भी इमरजेंसी स्थिति से निपटने के लिए नई टेक्नोलॉजी और एडवांस हथियारों के साथ पर्याप्त भंडार है। हम टेक्नोलॉजी और सेना की क्षमता में तो मजबूत हैं ही इसके साथ ही समान रूप से बुनियादी ढांचे के विकास पर भी फोकस कर रहे हैं। एलएसी के आसपास सड़कें, हेलीपैड जैसे क्षेत्रों का तेजी से विकास किया जा रहा है।
सेना प्रमुख ने उम्मीद जताई कि चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य वार्ता से पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से स्थित डेपसांग मैदानों और डेमचोक में समाधान हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘आपस में बात करके ही हम कोई समाधान निकाल सकते हैं। सभी विवादित बातों में हमारा उद्देश्य और प्रयास यही है। जब तक ऐसा होता है, तब तक हमारे बलों की तैनाती और सतर्कता ऐसे ही बरकरार रहेगी।
पाकिस्तान पर बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान के साथ 778 किलोमीटर की एलओसी पर भारतीय सेना की काउंटर-घुसपैठ ग्रिड ने घुसपैठ को रोक को कम कर दिया है। इसके अलावा सीमापार से ड्रोन आने भी कम हो गए हैं। ड्रोन की वजह से हथियार और ड्रग्स में इजाफा देखा जा रहा था। इसके अलावा, पाकिस्तान में मौजूद आतंकी बुनियादी ढांचे में कोई बड़ी कमी नहीं हुई है। जनरल पांडे ने कहा, ‘पाकिस्तान में घरेलू राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक मंदी के बावजूद मुझे लगता है कि एलओसी और आईबी को लेकर हमें बेहद सतर्क रहना होगा।’